script140 साल पुराने थाने के लॉकअप में लजीज खाने का आनंद | Patrika News
नई दिल्ली

140 साल पुराने थाने के लॉकअप में लजीज खाने का आनंद

पुरातन से नूतन : चेरापूंजी में अंग्रेजों के जमाने की इमारत कैफे में तब्दील

नई दिल्लीJun 05, 2025 / 12:42 am

ANUJ SHARMA

शिलांग. मेघालय का चेरापूंजी कभी दुनिया के सबसे ज्यादा बारिश वाले इलाके के तौर पर पहचाना जाता था। मेघालय की राजधानी शिलांग से करीब 53 किलोमीटर दूर इस शहर को सोहरा भी कहा जाता है। यह अब एक नए कैफे को लेकर सुर्खियों में है। कैफे अंग्रेजों के जमाने के 140 साल पुराने थाने में खोला गया है। कभी डर और सजा का प्रतीक रही यह इमारत अब सैलानियों के लिए जायकेदार भोजन का ठिकाना बन गई है।मेघालय के इस सबसे पुराने थाने की स्थापना 1885 में हुई थी। कैफे का नाम ‘सोहरा 1885’ रखा गया है। थाने को कैफे में बदलने की पहल खुद पुलिस अधिकारियों ने की, ताकि महकमे की अतिरिक्त आमदनी हो सके। ईस्ट खासी हिल्स जिले के एसपी विवेक सायम ने बताया कि जब वह डीएसपी के पद पर थे, इस हेरिटेज बिल्डिंग को लेकर कुछ नया और सकारात्मक करने पर विचार किया। सरकार ने नए थाना भवन का निर्माण शुरू किया। इसके बाद पुराने थाने को कैफे में तब्दील करने की शुरुआत हुई। दो साल पहले बोली प्रक्रिया में युवा उद्यमी नफी नोंगरम को साझेदार बनाया गया। उन्होंने इमारत का हुलिया बदल दिया।
सारा इंटीरियर ब्रिटिश काल की थीम पर

कैफे के सारे इंटीरियर को ब्रिटिश काल की थीम पर सजाया गया है। थाने के पुराने लॉकअप अब डाइनिंग एरिया बन चुके हैं। तिजोरी, फर्श और फायरप्लेस को संरक्षित रखा गया है। दो सौ किलो वजन वाली एक सेफ पर आकर्षक पेंटिंग की गई। कैफे की बैठक क्षमता करीब 100 लोगों की है। इसका उद्घाटन 22 मई को हुआ था। पिछले 12 दिन में कई पर्यटक यहां लजीज भोजन का आनंद ले चुके हैं।
इतिहास, विरासत और आतिथ्य…

पर्यटकों का कहना है कि यह सिर्फ कैफे नहीं, बल्कि इतिहास, विरासत और आतिथ्य का शानदार संगम है। थाने की विरासत को बरकरार रखा गया है। डिजाइन में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किया गया। बत्सखेम थाबाह नाम के एक सैलानी ने कहा, हमने लॉकअप में बैठकर खाना खाया। यह अनुभव यादगार रहा।

Hindi News / New Delhi / 140 साल पुराने थाने के लॉकअप में लजीज खाने का आनंद

ट्रेंडिंग वीडियो