पहले जानिए क्या है पूरा मामला?
दरअसल, अय्यर-मित्रा ने अपने ट्वीट में न्यूज़लॉन्ड्री की महिला पत्रकारों को ‘वेश्या’ कहा था। जो पत्रकारों के अनुसार न केवल उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता है बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक सम्मान पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। वादियों ने अदालत में दावा किया कि इससे उन्हें अपने सहकर्मियों, परिवार और दोस्तों के बीच शर्मिंदगी और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि पत्रकारिता की आलोचना स्वीकार्य है, लेकिन व्यक्तिगत अपमान और महिलाओं के खिलाफ सेक्सिस्ट टिप्पणियां बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। वरिष्ठ अधिवक्ता पर्सीवल बिलिमोरिया ने अय्यर-मित्रा की ओर से पेश होते हुए अदालत को सूचित किया कि विवादित ट्वीट्स को हटा लिया गया है। परंतु वादियों की ओर से अधिवक्ता बानी दीक्षित ने कहा कि अय्यर-मित्रा ने कोई भी पछतावा नहीं जताया है। उनका यह भी कहना था कि ट्वीट हटाने के बाद भी वे उस पर कविताएं लिख रहे हैं और टिप्पणियां कर रहे हैं, जिससे साफ़ है कि उनमें पश्चाताप का भाव नहीं है।
अदालत की टिप्पणी और रुख
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि अदालत इस मुकदमे में केवल उन पोस्टों की वैधता पर विचार कर रही है, जो पहले की गई हैं। अन्य शिकायतों को लेकर अदालत ने सुझाव दिया कि संबंधित पक्ष उन्हें अलग से संबोधित करें। इसके साथ ही न्यायालय ने अभिजीत अय्यर-मित्रा के खिलाफ सम्मन जारी किया। अदालत ने अय्यर-मित्रा को समन जारी करते हुए यह भी कहा कि फिलहाल के लिए अंतरिम आदेश (जो संभवतः अपमानजनक पोस्ट हटाने और आगे इस तरह की पोस्ट से रोकने का है) यथावत रहेगा। साथ ही, यदि भविष्य में कोई नई अपमानजनक सामग्री सामने आती है, तो वादियों को इसके लिए नया मुकदमा दायर करना होगा।
अभिजीत अय्यर-मित्रा का रुख और विवादास्पद टिप्पणी
सुनवाई के दौरान बिलिमोरिया ने न्यूज़लॉन्ड्री को ‘कपटी समाचार चैनल’ कहा और दावा किया कि यह प्रधानमंत्री के विदेशी नेताओं के साथ संबंधों पर अनुचित रिपोर्टिंग करता है। इस पर न्यायालय ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लक्ष्मण रेखा कहां है? सभी को लक्ष्मण रेखा समझनी चाहिए और यदि कोई पोस्ट मानहानिकारक है तो संबंधित पक्ष को कानूनी रूप से इसका सामना करना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने अभिजीत अय्यर मित्रा के वकील से कहा “अब जब आपको लक्ष्मण रेखा के बारे में पता चल गया है तो उम्मीद है कि आगे से आपका मुवक्किल इस रेखा का पालन करेगा।” इससे पहले पिछली सुनवाई में अय्यर-मित्रा के अधिवक्ता जय अनंत देहाद्राय और न्यायालय के बीच तीखी बहस भी हुई थी। न्यायालय ने चेतावनी दी थी कि अगर मामला नहीं सुलझा तो पुलिस को आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया जा सकता है। हालांकि, बाद में देहाद्राय ने न्यायालय को यह आश्वासन दिया कि अय्यर-मित्रा पांच घंटे के भीतर विवादित ट्वीट हटा देंगे। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ शब्दों का चयन अनुचित था और भविष्य में इस तरह की भाषा से बचा जाएगा।
महिला पत्रकारों ने मांगा दो करोड़ हर्जाना
वादी पक्ष ने अदालत से अपील की है कि अय्यर-मित्रा को न केवल आगे अपमानजनक पोस्ट करने से रोका जाए, बल्कि उनसे एक लिखित माफ़ी और ₹2 करोड़ का हर्जाना भी दिलवाया जाए। पत्रकारों का कहना है कि यह मामला केवल व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का नहीं। बल्कि महिला पत्रकारों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करने से भी जुड़ा है। इसपर हाई कोर्ट ने मित्रा के वकील से कहा, “ये लोग (पत्रकार) कह रहे हैं कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है, इसलिए आप अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें।” अब यह मामला आगे की सुनवाई और दोनों पक्षों की दलीलों के लिए संयुक्त रजिस्ट्रार के पास भेजा गया है।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब अभिजीत अय्यर मित्रा विवादों में घिरे हैं। हाल ही में तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग फर्म सिलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज ने उनके खिलाफ एक कानूनी नोटिस जारी किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मित्रा ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन की बेटी और कंपनी के बारे में झूठी और दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियां कीं। मित्रा खुद को दक्षिणपंथी हिंदुत्व विचारधारा का समर्थक बताते हैं और वह अक्सर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहते हैं।