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नई दिल्ली

दिल्ली में कब होगी मॉनसून की पहली बारिश? IMD की लेटेस्ट भविष्यवाणी

Monsoon Prediction: मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार दिल्ली में सबसे ज्यादा तपने वाले मई में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। मॉनसून के दौरान यह आंकड़ा बढ़ने के संकेत है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान ला नीना की गतिविधियों का है।

नई दिल्लीMay 29, 2025 / 12:59 pm

Vishnu Bajpai

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मॉनसून ने पकड़ी रफ्तार। जानिए दिल्ली एनसीआर में मौसम का ताजा हाल।

Monsoon Prediction: इस बार मई का महीना राजधानी दिल्ली के लिए बारिश की सौगात लेकर आया। लगातार बदले मौसम के मिजाज ने लोगों को गर्मी से राहत दी है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि मॉनसून दिल्ली कब पहुंचेगा और किस अंदाज में यहां अपना असर दिखाएगा। फिलहाल बारिश ने राजधानी के मौसम को सुहाना बना दिया है और लोगों को गर्मी से बड़ी राहत दी है। इसके चलते देश की राजधानी दिल्ली इस बार मई की गर्मी में राहत की सांस ले रही है।

मई में बारिश ने बनाया नया रिकॉर्ड

मौसम विभाग की मानें तो इस साल मई में दिल्ली ने बारिश के मामले में नया रिकॉर्ड बना दिया है। सफदरजंग वेधशाला में 188.9 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य औसत 58.8 मिमी से करीब 200 प्रतिशत अधिक है। वहीं, पूरे शहर में 186.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई, जो औसतन 25.1 मिमी से लगभग सात गुना ज्यादा है। इस अप्रत्याशित बारिश का कारण लगातार गरज-चमक, तेज हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ जैसे मौसमी सिस्टम रहे।
दरअसल, आमतौर पर तपती धूप और लू से बेहाल कर देने वाला मई का महीना इस बार बादलों और बारिश की मेहरबानी से कुछ अलग ही नजर आया। पूरे महीने में कई बार तेज आंधी और बारिश ने न सिर्फ तापमान में गिरावट लाई। बल्कि राजधानीवासियों को गर्मी से राहत भी दी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, मई के अंत में भी बारिश और आंधी का दौर जारी रहेगा। 30 और 31 मई के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।
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मॉनसून को लेकर मौसम विभाग ने दिया बड़ा अपडेट

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून इस साल सामान्य से काफी पहले भारत पहुंच गया है। 24 मई को यह केरल में दस्तक दे चुका है, जबकि मुंबई में यह 26 मई तक पहुंच गया, जो सामान्य तारीख से 16 दिन पहले है। अरब सागर से नमी भरी हवाएं और कम दबाव वाले क्षेत्रों की अनुकूल स्थितियों ने इस गति को संभव बनाया। हालांकि, मौसम विभाग का कहना है कि मॉनसून की यह तेजी पूरे भारत में समान नहीं रहेगी।
IMD के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र के अनुसार, यह जरूरी नहीं कि केरल और मुंबई में जल्दी पहुंचने के बाद मॉनसून उतनी ही तेजी से उत्तर भारत में भी पहुंचे। दिल्ली में आमतौर पर मॉनसून 28 जून के आसपास आता है और अभी इसकी अनुमानित तारीख तय नहीं की गई है। इसके साथ ही IMD ने पहली बार उपखंड-वार बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। जिसके अनुसार हरियाणा-चंडीगढ़-दिल्ली उपखंड में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना जताई गई है। यह पूरे मॉनसून सीजन में लंबे अवधि औसत (LPA) का 114 प्रतिशत हो सकता है। यानी दिल्ली इस बार सामान्य से अधिक मॉनसूनी बारिश की उम्मीद कर सकती है।

ला नीना के असर से बढ़ेगी मॉनसून की ताकत

मौसम वैज्ञानिकों की मानना है कि इस पूर्वानुमान के पीछे वैश्विक जलवायु परिस्थितियों की अहम भूमिका है। इस समय प्रशांत महासागर में एल नीनो प्रभाव सक्रिय है, लेकिन धीरे-धीरे इसका असर समाप्त हो रहा है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि एल नीनो की समाप्ति के बाद ला नीना प्रभाव सक्रिय हो सकता है। जो भारत में बारिश को प्रोत्साहित करता है। ला नीना के दौरान समुद्री सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है। जिससे भारत में बारिश की गतिविधियां बढ़ जाती हैं।
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कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती

भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेषकर कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था, मानसून पर अत्यधिक निर्भर करती है। इस बार बेहतर मानसून से खरीफ फसलों की बुआई, जलाशयों का स्तर, भूजल भंडारण और सिंचाई के संसाधन बेहतर होने की पूरी संभावना है। इससे खाद्यान्न उत्पादन बढ़ेगा, महंगाई पर नियंत्रण रहेगा और किसानों की आय में भी बढ़ोतरी संभव है। मौसम विभाग का यह संकेत केंद्र और राज्य सरकारों के लिए खरीफ सीजन की तैयारियों को तेज करने का अवसर है। साथ ही किसानों को भी चाहिए कि वे मौसम विभाग के स्थानीय पूर्वानुमानों पर ध्यान दें और वैज्ञानिक तरीके से खेती की योजना बनाएं।

दिल्ली वासियों से सतर्क रहने की अपील

हालांकि, एक चेतावनी भी दी गई है कि दिल्ली-एनसीआर में बारिश का वितरण असमान हो सकता है। कुछ हिस्सों में सामान्य से कम तो कई हिस्सों में सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। यह दिल्लीवासियों के लिए थोड़ा सतर्क रहने का संकेत है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि साल 1993 से 2016 के जलवायु आंकड़ों के आधार पर, दिल्ली में जून के महीने में आमतौर पर सबसे ज्यादा लू चलती है। लेकिन इस साल का पूर्वानुमान कुछ राहत देने वाला है। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से कम लू चलने की संभावना है। यानी भीषण गर्मी के बजाय लोगों को इस बार कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि जून में कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश की चेतावनी भी दी गई है।

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