दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोनों देशों के सीजफायर पर सहमति जताने की घोषणा से भारत में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस समेत कई दल सीजफायर की घोषणा अमेरिका से होने पर सवाल उठाते हुए दिवंगत पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और 1971 के घटनाक्रम को याद कर रहे हैं। वहीं भाजपा भी पलटवार कर कह रही है यह 2025 हैै, 1971 नहीं है। 1971 के विपरीत आज पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं। फिर भी भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है, जिसने परमाणु-सशस्त्र राज्य के क्षेत्र में गहराई से और बार-बार हमला किया है।
भारत ने सफलतापूर्वक बनाया आतंकी ठिकानों को निशाना-मालवीया
भाजपा आइटी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित मालवीया का कहना है कि 1971 में पाकिस्तान का उसके ही देश (जो अब बांग्लादेश) में विरोध था। 2025 में ऐसा नहीं है। पाकिस्तानी सेना अब अपनी आबादी पर ज़्यादा कड़ी पकड़ रखती है। नेशनल नेरेटिव को नियंत्रित करती है। इन कठिन हालात के बावजूद भारत ने आतंकी शिविरों को समाप्त किया। आतंकवाद को प्रायोजित करने वालों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मालवीया ने फील्ड मार्शल सैम होर्मुसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ के पुराने साक्षात्कार का वीडियो जारी कर कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मॉस्को व वाशिंगटन डीसी दोनों के दबाव में पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के बाद शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए। युद्ध पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हो गया था। फिर भी भारत ने एक भी रणनीतिक लाभ हासिल किए बिना 99,000 युद्धबंदियों को रिहा किया। पाकिस्तान पर पीओजेके खाली करने का कोई दबाव नहीं बनाया। भारत के हितों को सुरक्षित किए बिना आत्मसमर्पण करना कांग्रेस के डीएनए में समाहित है।
इंदिरा के खत के चार दिन बाद पाक का सरेंडर-जयराम
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने दिवगंत इंदिरा गांधी का एक खत जारी करते हुए कहा कि 12 दिसंबर 1971 को इंदिरा गांधी ने ये ख़त अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन को लिखा था। इसके चार दिन बाद पाकिस्तान ने सरेंडर कर दिया था। तब इंदिरा ने निक्सन से कहा था कि हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी है। हमारे पास इच्छाशक्ति और संसाधन हैं कि हम हर अत्याचार का सामना कर सकते हैं। वो वक्त चला गया, जब कोई देश तीन-चार हज़ार मील दूर बैठकर ये आदेश दे कि भारतीय उसकी मर्जी के हिसाब से चलें।