हाल ही में मरीज को वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया नामक गंभीर स्थिति हुई थी। जिसमें हृदय की धड़कन असामान्य रूप से 200 प्रति मिनट से अधिक हो गई थी। जिससे वे अचानक बेहोश हो गए। तत्काल चिकित्सा सहायता के अंतर्गत उन्हें इमरजेंसी डिपार्टमेंट द्वारा शॉक देकर स्थिर किया गया और जीवन रक्षक दवाइयां दी।
तीन दिन वेंटीलेटर पर रहा मरीज
तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रखने के बाद स्थिति सामान्य होने पर डॉ (मेजर) अजीत प्रताप सिंह (कार्डियोलॉजिस्ट) द्वारा आईसीडी डिवाइस लगाने का निर्णय लिया। यह डिवाइस छाती पर त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित की जाती है और इससे जुड़ी लीड को हृदय के दाहिने हिस्से में जोड़ा जाता है। यह एक विशेष मेडिकल डिवाइस है जो इसमें लगी बैटरी द्वारा चलता है, यह डिवाइस स्वत: ही लगातार हृदय की गति व धड़कन को मॉनिटर करता रहता है। ऐसे काम करता है डिवाइस
जब भी हृदय की धड़कन असामान्य रूप से बढ़ती है, यह डिवाइस (battery-operated ICD device) स्वत: शॉक देकर उसे नियंत्रित करता है, जिससे मरीज को समय पर जीवनरक्षक उपचार मिल जाता है। यह प्रोसीजर कैथ लेब में डॉ (मेजर) अजीत प्रताप सिंह व उनकी केथ लैब विशेषज्ञ टीम द्वारा 2 घण्टे में गया।
इस डिवाइस की कार्यक्षमता लगभग 8 वर्षों तक बनी रहती है और यह मरीज को भविष्य में आने वाले घातक हृदय दौरे से बचा सकता है। ज्ञानोदय मल्टीस्पेश्यलिटी हॉस्पिटल नीमच में इस तरह की चिकित्सा प्रणाली से पहली बार किसी मरीज़ का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया 7 यह जिले के लिए गर्व का विषय है और यह हृदय रोगियों के लिए एक नई आशा की किरण है। (MP News)