उन्होंने पत्र में लिखा है कि हम इस बात से हैरान और स्तब्ध हैं कि किस तरह से सीआईएसएफ कर्मियों को सदन के अंदर दौड़ाया गया। जबकि सदस्य विरोध के लिए सदन में अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर रहे थे।
खड़गे ने आगे कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक है और हम इसकी स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में, जब सदस्य जनहित के महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे होंगे, तो सीआईएसएफ कर्मी सदन में नहीं आएंगे।
4 अगस्त तक सदन की कार्यवाही स्थगित
बता दें कि शुक्रवार को राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। इसके साथ, विपक्ष ने नारेबाजी भी की। इसके बाद सदन को स्थगित कर दिया गया। सारा कामकाज अगले सोमवार तक के लिए टाल दिया गया। सदन शुरू होते ही बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर बहस की मांग हुई। जिसको लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच गहमा गहमी हुई। इसके बाद सदन को 4 अगस्त तक स्थगित कर दिया गया।
विपक्षी सांसदों में मोहम्मद नदीमुल हक (तृणमूल कांग्रेस), मनोज कुमार झा (राजद), तिरुचि शिवा (द्रमुक), रंजीत रंजन (कांग्रेस), नीरज डांगी (कांग्रेस), रजनी अशोकराव पाटिल (कांग्रेस), आदि भी शामिल रहे। उन्होंने एसआईआर पर चर्चा की मांग की थी, जिस पर उनका आरोप था कि सत्यापन की आड़ में लाखों मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किया जा रहा है।
इसके साथ ही, ओडिशा के विपक्षी सदस्यों ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर बहस की मांग की, जबकि पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने बंगाली प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ भेदभाव का मुद्दा उठाया।