अदालत ने पूछा कि क्या ऐसे कैडेट्स के लिए समूह चिकित्सा बीमा योजना या एकमुश्त मुआवजा लागू किया जा सकता है। साथ ही यह भी जानना चाहा कि स्वस्थ होने पर उनकी नई आकलन प्रक्रिया कर उन्हें किसी वैकल्पिक भूमिका में समायोजित किया जा सकता है या नहीं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ऐसे कैडेट्स की संख्या बहुत अधिक नहीं है और उनके लिए विशेष योजना बनाना सामाजिक न्याय का बड़ा कार्य होगा।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कोर्ट ने कहा कि वह प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विकलांग होने वाले कैडेटों को चिकित्सा व्यय के लिए दी जाने वाली 40,000 रुपए की अनुग्रह राशि बढ़ाने के संबंध में निर्देश मांगें।
पुनर्वास के लिए योजना पर करे विचार
इसके साथ ही कोर्ट ने इन विकलांग कैडेट्स के पुनर्वास के लिए एक योजना पर भी विचार करने को कहा। जिससे उनका इलाज पूरा होने के बाद उन्हें डेस्क जॉब या रक्षा सेवाओं से संबंधित कोई अन्य काम वापस मिल सके। कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि बहादुर कैडेट सेना में रहें। हम नहीं चाहते हैं कि चोट या विकलांगता इन कैडेटों के लिए किसी तरह की बाधा बने। वहीं अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी।