स्कूलों में आधार सेवा केंद्र
मध्य प्रदेश शिक्षा केंद्र और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने मिलकर 18 अगस्त से एक विशेष अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य बच्चों को स्कूल में ही आधार कार्ड की सुविधा प्रदान करना है, ताकि उन्हें एडमिशन, स्कॉलरशिप, और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजनाओं का लाभ बिना किसी परेशानी के मिल सके। खास तौर पर, स्कूल जाने वाली लड़कियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
एमपी के 40 जिलों में शुरू हुआ अभियान
इस अभियान के तहत प्रत्येक प्रखंड के दो सरकारी स्कूलों में आधार सेवा केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पहले चरण में 40 जिलों के 1,068 स्कूलों में ये केंद्र खोले जाएंगे। इन केंद्रों में बच्चों के आधार कार्ड बनाए जाएंगे और बायोमेट्रिक अपडेट किए जाएंगे, जिसमें फिंगरप्रिंट, आंखों की स्कैनिंग, और फोटो शामिल हैं। शिक्षा विभाग ने इसके लिए टेंडर जारी कर एजेंसी चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चयनित एजेंसी को 60 दिनों के भीतर UIDAI के सहयोग से केंद्र शुरू करने होंगे। प्रत्येक आधार कार्ड बनाने के लिए एजेंसी को 50 रुपये दिए जाएंगे।
बायोमेट्रिक अपडेट के नियम
UIDAI के नियमों के अनुसार, 5 साल की उम्र में बच्चों का पहला बायोमेट्रिक अपडेट मुफ्त है, जो 5 से 7 साल के बीच कराना जरूरी है। इसके बाद 15 साल की उम्र में दूसरा अपडेट, जो 17 साल तक मुफ्त है, अनिवार्य है। इन अपडेट्स के बाद कोई भी बदलाव शुल्क के साथ होता है। इस अभियान के जरिए बच्चों के आधार कार्ड समय पर अपडेट होंगे, जिससे स्कॉलरशिप और DBT जैसी योजनाओं में देरी नहीं होगी।
लड़कियों और ग्रामीण बच्चों पर विशेष ध्यान
सरकार का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों और स्कूल जाने वाली लड़कियों पर है। कई बच्चे, खासकर लड़कियां, आधार कार्ड न होने या अपडेट न होने के कारण सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। कैंपों के जरिए स्कूलों में ही आधार कार्ड बनवाने और अपडेट करने की सुविधा से यह समस्या हल होगी। इन केंद्रों पर न केवल बच्चे, बल्कि स्थानीय लोग भी आधार कार्ड बनवा सकेंगे या त्रुटियां ठीक करवा सकेंगे।
बिजली-इंटरनेट जैसी सुविधाओं वाले स्कूलों की पहचान
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आधार सेवा केंद्रों के लिए बिजली, इंटरनेट, और कमरे जैसी सुविधाओं वाले स्कूलों की पहचान की जा रही है। चयनित एजेंसी को UIDAI से प्रशिक्षित कर्मचारी और उपकरण उपलब्ध कराने होंगे। आधार कार्ड बनाने या अपडेट करने के लिए बच्चों को सेंटर के चक्कर नहीं लगाने होंगे, क्योंकि स्कूल में ही सुविधा उपलब्ध होगी। यह पहल डिजिटल इंडिया और शिक्षा के क्षेत्र में समावेशिता को बढ़ावा देगी।