ट्रेनों में नॉन एसी डिब्बों की संख्या बढ़कर लगभग 70 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा, अगले 5 सालों में अतिरिक्त 17,000 नॉन-एसी जनरल और स्लीपर कोच बनाने के लिए एक स्पेशल विनिर्माण कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है।
बड़ी संख्या में जनरल डिब्बों के साथ ट्रेन चला भारतीय रेलवे
रेल मंत्री ने बताया कि केवल पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान, विभिन्न लंबी दूरी की ट्रेनों में 1,250 जनरल कोचों का उपयोग किया गया है। भारतीय रेलवे गरीब और निम्न मध्यम वर्ग सहित आम जनता के लाभ के लिए मेल, एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों सहित किफायती किराए वाली बड़ी संख्या में ट्रेनें चला रहा है। मंत्री ने बताया कि भारतीय रेलवे ने अमृत भारत और नमो भारत रैपिड रेल जैसी ट्रेनों में भी नॉन-एसी डिब्बे लगाए है। जिससे निम्न आय वर्ग को काफी फायदा होगा। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय रेलवे ने 100 और अमृत भारत ट्रेनों को बनाने में जुटी है।
रेल मंत्री ने कहा कि जनरल डिब्बों की अधिक उपलब्धता के कारण, सामान्य/अनारक्षित डिब्बों में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में वृद्धि भी हुई है, जो 2022-23 में 553 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 609 करोड़ और 2024-25 में 651 करोड़ तक हो गई है।
54 लाख हुई नॉन एसी सीटों की संख्या
रेल मंत्री ने बताया कि नॉन एसी डिब्बों में यात्रियों के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या अब 54 लाख हो गई है। जो कुल संख्या का 78 प्रतिशत है। वहीं, एसी सीटों की संख्या 22 प्रतिशत है। मंत्री ने आगे बताया कि जनरल और नॉन-एसी स्लीपर कोच का उपयोग करने वाले यात्रियों के लिए रेलवे ने खास व्यवस्था कर दी है। प्रत्येक मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में कुल 22 डिब्बे होते हैं। जिसमें अब 12 जनरल और स्लीपर श्रेणी के नॉन-एसी कोच और 8 एसी कोच की व्यवस्था है।
रेल मंत्री ने बताया कि भारतीय रेलवे ने पूरी तरह से नॉन एसी अमृत भारत ट्रेनें शुरू की हैं, जिनमें फिलहाल 11 जनरल डिब्बे, 8 स्लीपर श्रेणी के डिब्बे, 1 पेंट्रीकार और 2 सेकंड क्लास सह सामान सह गार्ड वैन और दिव्यांगजन अनुकूल डिब्बे शामिल हैं। किफायती दरों में यात्री लंबी दूरी की यात्रा कर सकें, इस वजह से ये ट्रेनें चलाई गईं हैं।