महिला आयोग ने रिपोर्ट दी
नाबालिग दलित लड़की से बलात्कार और हत्या का दर्दनाक मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लग रहे थे। महिला आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि बलात्कार पीड़िता को बिना किसी इलाज की सुविधा के चार घंटे से ज्यादा समय तक एंबुलेंस में इंतजार करवाया गया। इस कारण उसकी मौत हो गई। राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार और कानून व्यवस्था पर आरोप लगाया था। इस पूरे मामले पर कांग्रेस पहले दिन से काफी आक्रमक तेवर अख्तियार किए हुए थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और पीएमसीएच के डॉक्टरों के बीच इस मामले को लेकर तीखी बहस भी हुई थी। राजेश राम पीड़ित जख्मी लड़की को पीएमसीएच में भर्ती करवाना चाह रहे थे, लेकिन पीएमसीएच के डॉक्टर इसको लेकर आनाकानी कर रहे थे।
प्रथम दृष्टया मिली लापरवाही
सरकार की ओर से मंगलवार को जारी आदेश में कहा कि 1 जून को नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की मौत की जांच में प्रथम दृष्टया पाया गया कि प्रभारी उपाधीक्षक, पटना चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल द्वारा अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन नहीं किया गया, जो उनकी प्रशासनिक विफलता का परिचायक है। ऐसे में डा. अभिजीत सिंह, प्रभारी उपाधीक्षक, पीएमसीएच, पटना को तत्काल प्रभाव से प्रभारी उपाधीक्षक, पीएमसीएच, पटना के पद से मुक्त किया जाता है। इसके साथ ही पीड़िता के इलाज में घोर संवेदनहीनता बरतने पर डा. कुमारी विभा को बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली-2005 के नियम-9 के संगत प्रावधानों के तहत तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक निलंबित किया जाता है। जांच प्रतिवेदन के आलोक में अलग से आरोप पत्र गठित करने की कार्रवाई की जायेगी। निलंबन अवधि में डॉ० कुमारी विभा का मुख्यालय स्वास्थ्य विभाग, बिहार, पटना निर्धारित किया जाता है।
राजेश राम ने लगाया था पीएमसीएच पर आरोप
राजेश राम ने आरोप लगाया था कि मुजफ्फरपुर से पीएमसीएच स्थानांतरित होकर इलाज के लिए आयी दुष्कर्म पीड़िता की मौत अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध न होने के कारण हुई। पीड़िता कई घंटे तक एम्बुलेंस में इलाज के लिए इंतजार करती रही। कांग्रेस नेता राजेश राम ने दावा किया कि घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जो सरकार और अस्पताल प्रशासन की असंवेदनशीलता को उजागर करता है।