दुनिया भर में 450 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है
पिछले 70 सालों में प्लास्टिक उत्पादन में तेज़ी से वृद्धि हुई है। 1950 में दुनिया भर में सिर्फ़ दो मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता था। अब दुनिया भर में 450 मिलियन टन से ज़्यादा प्लास्टिक का उत्पादन होता है।
भारत में हर दिन 26 हजार टन प्लास्टिक का होता है इस्तेमाल
भारत में हर दिन लगभग 26 हजार टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। यह प्रतिव्यक्ति के हिसाब से 13.6 किलोग्राम ज्यादा है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगरों में प्लास्टिक की खपत और भी अधिक है। यहां प्रतिदिन लगभग 690 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है।
प्लास्टिक के चलते 1 लाख से अधिक मौतें
‘द लैंसेट ई-बायोमेडिसिन’ जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक प्लास्टिक को मुलायम बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले DEHP कैमिकल से साल 2018 में दुनिया भर में 3.5 लाख लोगों की मौतें हुई थीं। इनमें से 1 लाख से ज्यादा मौतें अकेले भारत में दर्ज की गई, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
मुंबई में आयी बाढ़ की वजह था प्लास्टिक कचरा
भारत सहित दुनिया भर में 21.8 करोड़ लोगों पर प्लास्टिक की वजह से बाढ़ का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यह वो प्लास्टिक है जो ऐसे ही फेंकें जाने के कारण नालियों में जमा हो रहा है और ड्रेनेज सिस्टम को अवरुद्ध कर रहा है। साल 2025 में मुंबई में आई बाढ़ की एक वजह प्लास्टिक कचरे को भी माना गया था। जिसने मुंबई के ड्रेनेज सिस्टम को बुरी तरह से प्रभावित किया था। उस आपदा में 1 हजार से अधिक लोगों की मौतें हुई थी।
भारत सरकार ने अब तक क्या क्या कदम उठाए हैं
साल 2019 में भारत ने जिनेवा (स्विटजरलैंड) में आयोजित प्रमुख सम्मेलनों में विकसित देशों द्वारा ई-कचरे की डंपिंग का विरोध किया। साथ ही, सरकार ने बेसल कन्वेंशन की पूर्व सूचित सहमति की प्रक्रिया के तहत प्लास्टिक कचरे को लाने के साथ-साथ अवैध प्लास्टिक डंपिंग व सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का भी समर्थन किया। साल 2021 में पेरिस में आयोजित वन प्लैनेट समिट के दौरान भारत HAC ( में शामिल हुआ। HAC ने साल 2030 तक दुनिया की कम से कम 30 फीसदी भूमि और महासागरों की रक्षा करना का लक्ष्य तय किया है। देश में कई जगहों पर सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन भी किया गया है।