पुलिस ने दर्ज किया मामला
दंपत्ति के फरार होने पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने बताया कि यह दंपत्ति केरल की रहने वाली है। पुलिस ने राममूर्ति नगर निवासी 64 वर्षीय सावियो पीटी की शिकायत पर 5 जुलाई को एफआईआर दर्ज की। उन्होंने आरोप लगाया कि इस योजना में उनके परिवार को लगभग 70 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
कमिश्नर से मिले निवेशक
एक निवेशक नवीना ने कहा इस मामले को लेकर हम कमिश्नर से मिले। आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान पूरा परिवार फरार हो गया, जब पूरा शहर जश्न मना रहा था। उन्होंने भागने का अवसर पाया। उन्हें फरार हुए एक महीना हो गया है और हमें उनके बारे में कोई सुराग नहीं है। हम अभी भी उनकी तलाश कर रहे हैं। बैंक का कहना है कि उनका घर लोन पर है और उनकी संपत्तियां जब्त की जा रही हैं। अब हम क्या करें? आरोपी पिछले 23 सालों से चिट फंड फर्म चला रही है, इसलिए उसने सभी का विश्वास हासिल कर लिया है। लगभग 700 परिवारों ने ट्रस्ट के नाम पर निवेश किया है। मैंने 10 लाख रुपये का निवेश किया है। एक अन्य निवेशक ने कहा मैंने 30 लाख रुपये का निवेश किया है और मैं उन्हें (फरार आरोपी) लगभग 30 वर्षों से जानता हूं। पूरे परिवार ने धोखा दिया है। उन्होंने सभी 700 लोगों को धोखा दिया है। हमने डीके शिवकुमार और गृह मंत्री से भी मुलाकात की।
RCB की जीत के दौरान मामला आया सामने
हालांकि, RCB की जीत के बाद 4 जून 2025 को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुए भगदड़ हादसे के बीच यह घोटाला सामने आया। इस हादसे में 11 लोगों की मौत और कई लोग घायल हो गए थे। इसी दौरान यह खबर फैली कि टॉमी और शाइनी 3 जुलाई से लापता हैं। उनके फरार होने की खबर ने निवेशकों में खलबली मचा दी, जिनमें से कई ने अपनी जीवन भर की बचत A&A चिट्स में निवेश की थी।
देश के पांच चिटफंड कंपनी के घोटाले
देश में चिटफंड कंपनियों द्वारा धोखाधड़ी के कई बड़े मामले सामने आए हैं, जिनमें लाखों निवेशकों के साथ करोड़ों रुपये की ठगी हुई। आइए जानते है देश के पांच बड़े चिटफंड कंपनी के घोटाले के बारे में- 1- शारदा चिटफंड घोटाला (पश्चिम बंगाल, 2013): शारदा समूह ने निवेशकों को ऊंचे रिटर्न का लालच देकर लगभग 2500 करोड़ रुपये की ठगी की। यह घोटाला पश्चिम बंगाल में शुरू हुआ और असम, ओडिशा जैसे राज्यों तक फैला। कंपनी ने पोंजी स्कीम की तरह काम किया, जहां पुराने निवेशकों को नए निवेशकों के पैसे से भुगतान किया गया। इस घोटाले में लाखों छोटे निवेशकों, खासकर ग्रामीण और मध्यम वर्ग के लोगों का पैसा डूब गया। इस मामले में कई राजनीतिक और प्रशासनिक लोग जांच के दायरे में आए। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच शुरू की, और कंपनी के प्रमुख सुदीप्तो सेन सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया।
2- पर्ल्स ग्रुप (पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड, 2014)- पर्ल्स ग्रुप ने रियल एस्टेट और अन्य योजनाओं के नाम पर निवेशकों से 45,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई। कंपनी ने 3-5 साल में दोगुना रिटर्न का वादा किया, लेकिन बाद में फरार हो गई। इसमें लगभग 5.5 करोड़ निवेशकों को ठगा गया। सीबीआई ने कंपनी के मालिक निर्मल सिंह भंगू और अन्य डायरेक्टरों को गिरफ्तार किया। संपत्ति कुर्की की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन निवेशकों को पूरा पैसा वापस नहीं मिल सका।
3- बीएन गोल्ड रियल स्टेट एंड एलाइड लिमिटेड (छत्तीसगढ़, 2018)- इस कंपनी ने 2010 से लुभावनी स्कीमों के जरिए 311 निवेशकों से 2.13 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए और बाद में धोखाधड़ी कर फरार हो गई। छत्तीसगढ़ के कई गांवों के लोग प्रभावित हुए, जिनमें से कई ने अपनी जमीन के मुआवजे का पैसा निवेश किया था। इसमें 2018 में मामला दर्ज हुआ और 2025 में डायरेक्टर विक्रम सिंह सोनालिया सहित 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
4- एलयूसीसी चिटफंड घोटाला (उत्तराखंड, 2025)- एलयूसीसी कंपनी ने बिना पंजीकरण के उत्तराखंड में कार्यालय खोले और निवेशकों से 800 करोड़ रुपये की ठगी की। मुख्य आरोपी दुबई फरार हो गया। इसमें हजारों निवेशकों का पैसा डूब गया और कई लोग कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और सीबीआई से जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई जारी है।
5- पुनिया चिटफंड घोटाला (हरियाणा, 2025)- टोहाना में पूनिया चिटफंड कंपनी ने लॉटरी और अन्य योजनाओं के जरिए सैकड़ों लोगों से 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। इसमें स्थानीय निवेशकों, विशेष रूप से छोटे व्यापारियों और मध्यम वर्ग के लोगों को भारी नुकसान हुआ।