दरअसल, सुप्रीम कोर्ट 14 जुलाई को उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है, जिसमें केंद्र को केरल की नर्स निमिषा प्रिया को फांसी से बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का उपयोग करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
यमन में वहां के नागरिक तलाल अब्दो मेहद की हत्या के आरोप में निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई है। पिछले तीन सैलून से वह यमनी जेल में बंद है। निमिषा प्रिया को यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी की मंजूरी के बाद 16 जुलाई को फांसी दिए जाने की संभावना है।
सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल ने दायर की है याचिका
बता दें कि ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ की तरफ सुप्रीम में याचिका दायर की गई है। इसपर तत्काल सुनवाई के लिए भेजे जाने के बाद, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने 14 जुलाई को इस पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की। याचिकाकर्ता के वकील से उन्होंने कहा कि वे याचिका की एक अग्रिम प्रति भारत के महान्यायवादी (केंद्र के सर्वोच्च विधि अधिकारी) को भी सौंप दें। शरिया कानून का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि पीड़ित परिवार को दीया (ब्लडमनी) देकर मृत्युदंड से राहत पर बातचीत की जा सकती है।
2008 में यमन चली गई थी निमिषा
केरल के पलक्कड़ जिले के कोलेनगोडे की एक नर्स निमिषा प्रिया 2008 में अपने माता-पिता का भरण-पोषण करने यमन चली गई थी। उन्होंने कई अस्पतालों में काम किया और अंततः अपना खुद का क्लिनिक खोलने का फैसला किया। 2017 में, उनके और उनके यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी के बीच पैसों को लेकर विवाद हो गया था। परिवार के लोगों ने बताया कि निमिषा ने कथित तौर पर महदी को अपना जब्त पासपोर्ट वापस पाने के लिए बेहोशी का इंजेक्शन लगाया था।
दुर्भाग्य से, ज्यादा मात्रा में दवा लेने से उसकी मौत हो गई। उसे देश से भागने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया गया और 2018 में उसे हत्या का दोषी ठहराया गया। 2020 में, वहां की एक निचली अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई और यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में इस फैसले को बरकरार रखा, हालांकि उसे बचाने के लिए अभी भी ब्लडमनी का विकल्प खुला है।