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नरसिंहपुर

‘बिहार चुनाव में गाय माता के नाम पर करना वोट’, शंकराचार्य ने सनातनियों से की अपील

mp news: ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Shankaracharya Avimukteshwarananda) रविवार को परमहंसी गंगा आश्रम झांतेश्वर से 33 दिवसीय गो संकल्प पदयात्रा को संबोधित करने नरसिंहपुर के गोटेगांव पहुंचे थे। यहां उन्होंने आगामी बिहार चुनाव (2025 Bihar elections) को लेकर बड़ी बात कही।

नरसिंहपुरJun 16, 2025 / 12:55 pm

Akash Dewani

Shankaracharya Avimukteshwarananda on 2025 Bihar elections mp news (फोटो सोर्स-ANI)

Shankaracharya Avimukteshwarananda on 2025 Bihar elections
(फोटो सोर्स-ANI)

mp news: नरसिंहपुर के गोटेगांव में रविवार को सुबह परमहंसी गंगा आश्रम झांतेश्वर से 33 दिवसीय गौ संकल्प पदयात्रा शुरु हुई। यात्रा शुरु होने के पूर्व शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद (Shankaracharya Avimukteshwarananda) ने धर्मसभा को सबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज कल प्रदर्शन, आंदोलन से राजनीतिक सत्ताधारियों पर किसी प्रकार का असर नहीं पड़ रहा है। अब सिर्फ उनको वोट का डर ही हिला सकता है। इसलिए सभी गौ सेवकों को गौहत्या रोकने के लिए वोट का डर तैयार करना होगा और एक-एक वोट गौ माता के नाम पर तैयार करना होगा। तभी गो माता की हत्या पर विराम लग सकता है।

बिहार चुनाव से करो शुरुआत

उन्होंने कहा कि चुनाव का वक्त आ चुका है। इसलिए सभी गौ सेवकों को एक एक वोट गाय के नाम से तैयार करना होगी और इसी शुरुआत बिहार चुनाव (2025 Bihar elections) से करना होगी। इस चुनाव में गौ माता के प्रत्याशी को सभी विधानसभा सीट से बड़ा करना होगा। इसी से निर्धारण होगा कि गौ माता के नाम पर कितनी वोट चुनाव में प्राप्त होगीं। जब वोट का डर मजबूती से तैयार हो जाएगा। तभी देश में गौहत्या पर रोक लग सकती है।
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गाय को माता मानने वाला ही असली सनातनी- अविमुक्तेश्वरानंद

शंकराचार्य ने कहा कि जिन्होंने सनातन धर्म को अपने जीवन में अपनाया है। उसके लिए गाय ही माता है। जो सनातन धर्म को नहीं मानता है। उसके लिए गाय माता का रूप नहीं हो सकती है। सनातन धर्मी गाय की सेवा आशीर्वाद के लिए करता है, दूध के लिए नहीं करता है। इसलिए सनातन धर्मी का पहला काम गौ की रक्षा और सेवा करना ही है। आपने कहा कि गाय और गर्वे दो प्रकार की नस्ल हो गई है।
उन्होंने आगे कहा कि इसलिए गाय और गर्वे में भेद करना है, क्योंकि दो प्रकार की गाय हो गई है जिससे मूल गाय की पहचान विलुप्त होती जा रही है। आपने कहा कि गर्दै गाय का मूत्र एवं गोबर पवित्रता की श्रेणी में नहीं आता है। आपने कहा कि बिना गोत्र के कोई हिन्दू नहीं हो सकता है। भले ही वह कोई भी भाषा का उपयोग करता हो। आपने कहा कि आज की नई पीढ़ी की समझ में नहीं आ रही है कि गाय ही हमारी माता है। नई पीढ़ी अपनी संस्कृति, वेशभूषा और भाषा को खोती जा रही है।
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दिल्ली में होगा यात्रा का समापन

अखिल भारतीय सर्वदलीय गोरक्षा महा अभियान समिति दिल्ली के ‌द्वारा 33 दिवसीय गो संकल्प पदयात्रा ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती की समाधि स्थल से शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के आशीर्वाद से निकाली गई। जिसका 18 जुलाई को दिल्ली में समापन होगा।
इस समिति के सदस्य स्वामी त्रिभुवनदास ने पत्रिका को बताया कि यह वही संस्था है जिसने गो हत्या के रोक के लिए 1966 में संसद भवन में आंदोलन किया था। जिसमें कई संत शहीद हुए थे। यात्रा के संयोजक अनुराग भार्गव है। गौ संकल्प पदयात्रा में बीच बीच में शंकराचार्य सदानंद एवं शंकराचार्य भारती तीर्थ हिस्सा लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगें।

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