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नागौर

यह राजस्थान है : यहां 18 हजार स्कूलों में नहीं है 44 हजार व्याख्याताओं के पद

पिछले 12 साल से राज्य सरकार की ओर से क्रमोन्नत किए गए हजारों उच्च माध्यमिक विद्यालयों में आज तक स्वीकृत नहीं किए अनिवार्य विषय हिन्दी व अंग्रेजी के पद, 2020-21 के बाद क्रमोन्नत स्कूलों में वैकल्पिक विषयों के व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति नहीं

नागौरJul 13, 2025 / 11:54 am

shyam choudhary

1993 से 2025 तक चार बार भाजपा और तीन बार कांग्रेस ने सत्ता संभाली पर तबादला नीति केवल घोषणाओं तक सीमित रही। 2018 में कांग्रेस और 2023 में भाजपा ने इसे अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया, लेकिन परिणाम शून्य ही रहा।

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नागौर. प्रदेश में नया शिक्षण सत्र एक बार फिर शुरू हो चुका है, लेकिन 18 हजार स्कूलों में इस बार भी 44 हजार व्याख्याताओं के पद स्वीकृत नहीं हो पाए हैं, ऐसे में शिक्षण व्यवस्था बेपटरी चल रही है। वर्ष 2013 के बाद क्रमोन्नत होने वाले 13 हजार विद्यालयों में अनिवार्य विषय हिन्दी व अंग्रेजी के पद स्वीकृत नहीं होने से व्याख्याता नहीं है। प्रदेश में कुल 19 हजार के लगभग उच्च माध्यमिक स्तर की स्कूलें हैं, जिनमें मात्र 4 हजार में हिन्दी और अंग्रेजी के पद स्वीकृत हैं, जो वर्ष 2013 के पहले क्रमोन्नत हो चुकी थी। इसके अलावा 6 हजार विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें वैकल्पिक विषयों के भी व्याख्याता नहीं है।

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गौरतलब है कि मार्च 2022 में सरकार ने जो 4 हजार माध्यमिक विद्यालय थे, उन सबको एक साथ उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत कर दिया, लेकिन एक भी वैकल्पिक विषयों के पद स्वीकृत नहीं किए। इसके बाद उच्च प्राथमिक विद्यालयों को सीधे उच्च माध्यमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत करने लग गए। प्रदेश में पिछले सत्र तक ऐसी 2 हजार स्कूलें थीं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने एक जुलाई को एक और आदेश जारी कर 96 राजकीय उच्च प्राथमिक स्तर विद्यालयों को सीधे ही राजकीय उच्च माध्यमिक स्तर पर क्रमोन्नत किया गया, लेकिन व्याख्याताओं के पद स्वीकृत नहीं किए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2020-21 के बाद क्रमोन्नत स्कूलों में वैकल्पिक विषयों के व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति नहीं दी गई है।
स्कूलों में 26 हजार पदों की मांग

शिक्षा विभाग में वर्ष 2010 तक उच्च माध्यामिक में क्रमोन्नत हुई स्कूलों में तो शिक्षकों के पूरे पद हैं, लेकिन इसके बाद क्रमोन्नत हुए करीब 13 हजार स्कूलों में हिंदी व अंग्रेजी के अनिवार्य विषयों के व्याख्याताओं के पद स्वीकृत नहीं किए गए। ऐसे में इन स्कूलों में 26 हजार पदों की मांग है, जिनके अभाव में नामांकन नहीं बढ़ रहा है।
वित्तीय स्वीकृति के इंतजार में उलझे पद

गहलोत सरकार में माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में 4075 व उच्च प्राथमिक से उच्च माध्यमिक में 1825 स्कूलेंक्रमोन्नत हुई। प्रत्येक स्कूल में व्याख्याता के तीन पदों के हिसाब से 18 हजार पदों की आवश्यकता है, लेकिन अब तक इन पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं हुई है। व्याख्याताओं की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूलों में द्वितीय व तृतीय श्रेणी शिक्षक तक कक्षा 11 व 12 को पढ़ाने को मजबूर हैं।
मापदण्ड अनुसार पदों की स्वीकृति की जाए

नए व पुराने स्टाफिंग पैटर्न में बहुत कम अंतर है। लगभग हू-ब-हू स्टाफिंग पैटर्न है। स्टाफिंग पैटर्न के मापदंडों अनुसार पदों का सृजन किया जाना चाहिए। प्रति 2 वर्ष बाद स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा करते हुए विद्यालय के नामांकन अनुसार पदों का निर्धारण करने का प्रावधान पहले भी था, अब भी है, जबकि 10 वर्षों में एक बार भी समीक्षा नहीं हुई है। 2021 के बाद क्रमोन्नत 6 हजार उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 4 वर्ष बाद भी ऐच्छिक विषयों के व्याख्याता पद अभी तक स्वीकृत नहीं किए गए। जबकि विद्यालय क्रमोन्नत होते ही प्रथम वर्ष ही व्याख्याता पदों की स्वीकृति का प्रावधान है। स्टाफिंग पैटर्न की पालना करते हुए नामांकन अनुसार पदों की स्वीकृति की जानी चाहिए। संगठन की ओर से लम्बे समय से स्टाफिंग पैटर्न समीक्षा की मांग की जा रही है, लेकिन विभाग की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
– बसन्त कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा

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