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नागौर

परिजनों के नाम से लेते थे मोबाइल सिम, फिर ऑनलाइन ठगी को देते अंजाम

झांसा देकर लाखों रुपये की ऑनलाइन ठगी करने वाले दो शातिर आरोपियों को भावण्डा पुलिस ने धर दबोचा

नागौरAug 04, 2025 / 08:08 pm

Mahendra Trivedi

सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को झांसा देकर लाखों रुपये की ऑनलाइन ठगी करने वाले दो शातिर आरोपियों को भावण्डा पुलिस ने धर दबोचा है। पकड़े गए दोनों आरोपी नागौर जिले के कंकड़ाय गांव के निवासी हैं और उनके खिलाफ पूर्व में भी साइबर ठगी के मामले दर्ज हैं।

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आरोपी अपने परिजनों के नाम पर सिम कार्ड लेकर फर्जीवाड़ा कर रहे थे

पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी अपने परिजनों के नाम पर सिम कार्ड लेकर फर्जीवाड़ा कर रहे थे। इस बार साइबर हेल्पलाइन नंबर पर आई शिकायत के आधार पर भावण्डा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कंकड़ाय निवासी हीरा देवी के नाम से जारी मोबाइल सिम की पड़ताल की। जांच में पता चला कि इस सिम का उपयोग हीरा देवी का पुत्र मनीष कर रहा है, जो ठगी की रकम अपने बैंक खाते में जमा करवा रहा है।

सरकारी स्कूल के पास घेराबंदी कर गिरफ्तार किया

पुख्ता सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने कंकड़ाय गांव के सरकारी स्कूल के पास से मनीष को घेराबंदी कर गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने साइबर ठगी में अपने साथी महिपाल पुत्र शिवनारायण जाट और मुख्य सरगना राजेश जाजड़ा का नाम उजागर किया। इसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महिपाल को नागौर के मूण्डवा चौराहे स्थित हनुमान बाग कॉलोनी से गिरफ्तार कर लिया।

मुख्य आरोपी अब तक फरार

महिपाल ने पूछताछ में बताया कि इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड राजेश जाजड़ा है, जिसके पास भारी मात्रा में साइबर ठगी से जुड़ी सामग्री, एटीएम काड्र्स, आधार काड्र्स और अन्य दस्तावेज हैं। पुलिस ने तत्काल राजेश जाजड़ा और उसके सहयोगियों की तलाश में नागौर, सिणोद, गोवा कल्ला, भाकरोद, ताडावास सहित करीब 15 से ज्यादा स्थानों पर दबिश दी, लेकिन मुख्य आरोपी अब तक फरार है।

चौंकाने वाले खुलासे

पुलिस ने मनीष और महिपाल के कब्जे से मिले मोबाइल फोनों की जांच की, जिसमें कई लोगों के एटीएम कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक पासबुक की तस्वीरें, साथ ही सोशल मीडिया चैट्स, गूगल पे व फोन पे ट्रांजेक्शनों के स्क्रीनशॉट मिले। आरोपियों ने कबूल किया कि वे भोले-भाले ग्रामीणों को मोटे कमीशन का लालच देकर उनके बैंक खाते और दस्तावेज हासिल करते थे और फिर उनका उपयोग ठगी में करते थे। राजेश जाजड़ा उन्हें साइबर फ्रॉड से मिली रकम का हिस्सा एटीएम से निकालकर देता था।

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