– रहने, खाने से लेकर शौचालय तक की व्यवस्था नहीं कर सकी सरकार राजवीर रोज खजवाना (नागौर). देश की सड़कों पर दिन-रात माल ढोने वाले ट्रक चालक आज जिंदगी की सबसे मुश्किल राह से गुजर रहे हैं। ये देश की अर्थव्यवस्था को गति देते हैं। सरकार के लिए अरबों रुपए का राजस्व बटोरते हैं, लेकिन बदले में इन्हें मिलता है लंबे घंटे काम, नशे की लत, आरटीओ की सख्ती, टोल का बढ़ता बोझ और सरकारी अव्यवस्थाओं का भार। इनकी कहानी चिंताजनक होने के साथ, सरकार और व्यापारियों की इनके प्रति संवेदनशीलता पर सवालिया निशान भी खड़ा करती है। ट्रक चालकों की जीवनचर्या सड़क किनारे बने ढाबों पर निर्भर है, सरकारी तौर पर कोई सुविधा मुहैया नहीं है। यह बात सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान के शोधार्थी अर्जुन चौधरी के शोध में सामने आई है।
थकान मिटाने को शुरू हुआ नशा, बना देता है बेगारी ट्रक चालकों के लिए 12-14 घंटे की ड्राइविंग आम बात है। नींद और थकान मिटाने लिए कई चालक शराब, तंबाकू और यहां तक कि ड्रग्स का सहारा लेने लगे हैं। नागौर के पास एक ढाबे पर मिले ट्रक चालक रामलाल (बदला हुआ नाम) ने बताया कि ‘रातभर गाड़ी चलानी पड़ती है, मालिक समय पर माल पहुंचाने का दबाव डालते हैं। थकान मिटाने के लिए मजबूरी में नशा कर लेते हैं।’
अनावश्यक वसूली राजस्थान में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) की चेकिंग ट्रक चालकों के लिए बुरे सपने से कम नहीं है। चालकों का आरोप है कि नियमों के नाम पर उनसे अनावश्यक जुर्माना वसूला जाता है। आरटीओ की सख्ती: मदद कम, परेशानी ज्यादा पैदा करती है। ट्रक चालक श्याम सिंह कहते हैं, ‘कागज पूरे हों तो भी कुछ न कुछ कमी निकालकर चालान काट देते हैं। कमाई का बड़ा हिस्सा जुर्माने में चला जाता है।’ स्पष्ट नियमों के अभाव में ट्रक चालक दोहरी मार का शिकार हो रहे हैं।
इनका कहना पीएचडी के दौरान अध्ययन में सामने आया कि ट्रक चालक कई तरह के अवसादों के शिकार हो चुके हैं। उन्हें अवसाद से बाहर निकालने के लिए कई पहलुओं पर विचार करना पड़ेगा। परिवहन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राजस्थान में सरकार को हर साल ट्रकों से जुड़े टैक्स, टोल और जुर्माने से अरबों रुपए की कमाई होती है। लेकिन ट्रक चालक की हालत सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। ट्रक चालकों को निजी स्तर पर योगा का सहारा लेना चाहिए, ताकि अवसाद दूर हो सके।
– अर्जुन चौधरी, शोधार्थी ट्रक चालकों की यह कहानी पूरे सिस्टम की नाकामी की तस्वीर पेश करती है। अगर सरकार ने इनकी सुध नहीं ली, तो नशे की लत और सड़क हादसों में बढ़ोतरी के साथ राजस्व का यह स्रोत भी खतरे में पड़ सकता है। सवाल यह है कि क्या सरकार इन ‘अर्थव्यवस्था के पहियों’ को सिर्फ दबाव में चलाती रहेगी या उनकी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए कुछ करेगी?
– लक्ष्मीनारायण मुण्डेल, अध्यक्ष ट्रांसपोर्ट यूनियन, मारवाड़ मूण्डवा एक्सपर्ट व्यू ट्रक चालकों को दिनचर्या बेहतर बनाने के लिए आठ घंटे की पूरी नींद लेनी चाहिए। सकारात्मक सोच के लिए संगीत का सहारा लिया जा सकता है। नशे से दूर रहें। ट्रक चलाने के दौरान तीन-चार घण्टे के बाद थोड़ा आराम व चहलकदमी करें। अवसादग्रस्त होने पर नशे की बजाय मनोचिकित्सक से परामर्श लिया जाए।
– डॉ शंकरलाल, मनोरोग विशेषज्ञ, नागौर।