इस बार Nautapa में नहीं पड़ी गर्मी तो लग गया मानसून की बारिश का अंदाजा, जानें कैसा रहेगा Rajasthan Monsoon 2025
मान्यता के अनुसार नौतपा में जितना तापमान अधिक रहता है, उतनी ही मानसून काल में बारिश अच्छी होती है। साथ ही नौतपा में अधिक तापमान व लू से जमीन के पांण भी अच्छी लग जाती है।
Nautapa 2025 End: खेती की जमीन को उपजाऊ बनाने, उसमें पनप रहे हानिकारक कीड़ों, दीमग, कीट पतंगे, टिड्डे आदि को नष्ट करने तथा मृदा की उपज बढ़ाने के लिए रोहिणी नक्षत्र की गर्मी और नौतपा में झुलसा देने वाली तेज धूप जरूरी है। किसानों के अनुसार रोहिणी नक्षत्र जमीन को बीज अंकुरण के लिए अनुकूल बनाने वाला समय होता है। इसमें अधिक गर्मी व उच्च तापमान रहने से जमीन के अंदर पनप रहे हानिकारक कीड़े, मकोड़े नष्ट होने के साथ भूमि की उष्णता बढ़ जाती है। इसे स्थानीय भाषा में जमीन के पांण लगना कहा जाता है। इससे जमीन उपजाऊ व रोग रहित रहती है।
नौतपा का वैज्ञानिक आधार यह है कि सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के समय, सूर्य पृथ्वी के करीब आ जाता है, जिससे तापमान बढ़ता है। सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिससे धरती गर्म होती है और लो प्रेशर बनता है, जिससे मानसून की हवाएं चलती हैं। कुछ मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश से भूमध्य रेखा पर गर्मी चरम पर पहुंचती है।
नौतपा में पृथ्वी की स्थिति
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक जेठ के महीने में सूर्य के वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक नौतपा कहलाता है। इस दौरान तेज गर्मी बारिश के अच्छे योग बनते हैं। रे हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि नौतपा जितना अधिक तपता हैं तो उस साल बारिश अच्छी होती है।
क्या है नौतपा
सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है उस समय को नौतपा कहा जाता है। यह एक विशेष मौसम है, जिसमें अत्यधिक गर्मी होती है। इस दौरान तापमान बढ़ जाता है और लू चलने की संभावना रहती है। यह अवधि 25 मई से 2 जून तक रहती है। नौ दिन भीषण गर्मी रहने से इसे नौतपा कहा जाता है।
तापमान और नौतपा
नौतपा के दौरान तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना होती है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश से पृथ्वी की सतह पर गर्मी का प्रभाव बढ़ता है। मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि इस अवधि में सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिससे तापमान तेजी से बढ़ता है। कुछ ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश से पृथ्वी पर गर्मी का प्रभाव बढ़ता है, जो नौतपा के दौरान होता है।
सूर्य पर रोहिणी नक्षत्र की नजर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा साल में एक बार होता है, जब सूर्य पर रोहिणी नक्षत्र की दृष्टि पड़ती है। सूर्य किसी भी नक्षत्र में 15 दिन के लिए होता है। लेकिन आपको बता दें इसके शुरू होने के पहले चन्द्रमा जिन 9 नक्षत्रों पर रहता है वह दिन नौतपा कहलाते हैं।
राजस्थान में नौतपा के दौरान तापमान काफी अधिक बढ़ता है , क्योंकि यह क्षेत्र गर्मी के लिए जाना जाता है। नौतपा के दौरान तेज धूप, हवा में गर्मी और आंधी-तूफान की संभावना भी होती है। यह अवधि जनजीवन को प्रभावित करती है। लोगों को लू और गर्मी से संबंधित बीमारियों से बचने की आवश्यकता होती है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आद्रा नक्षत्र से लेकर दस नक्षत्रों तक यदि बारिश हो तो पूरे बारिश मौसम में अच्छी बारिश के योग माने जाते हैं। यदि इन दसों नक्षत्रों में बारिश न हो तो और इन्हीं नक्षत्रों में तीव्र गर्मी पड़ जाए तो समझो उस साल बारिश जमकर होगी। ऐसा माना जाता है कि नौतपा में पानी नहीं गिरना चाहिए। यदि नौतपा के नौ दिनों पानी गिर जाए तो बारिश अच्छी नहीं होती। वो इसलिए कि नौतपा के नौ दिनों में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधे गिरने से जमीन अच्छी तपती है। इससे समुद्र के पानी का वाष्पीकरण तेजी से होता है। वाष्पीकरण होने से घने बादल बनते हैं और इससे मानसून में अच्छी बारिश होने के आसार बनते हैं।
इनका कहना
रोहिणी नक्षत्र में जमीन आगामी फसल बुवाई के लिए तैयार होती है। इस अवधि में भूमि में उष्णता बढ़ाने व मृदा स्वास्थ्य के लिए उच्च तापमान, लू व गर्मी जरूरी होती है।
मान्यता के अनुसार नौतपा में जितना तापमान अधिक रहता है, उतनी ही मानसून काल में बारिश अच्छी होती है। साथ ही नौतपा में अधिक तापमान व लू से जमीन के पांण भी अच्छी लग जाती है। जिससे बीज अंकुरण व फसल उत्पादन अच्छा रहता है।
हनुमान पूनिया, किसान।
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