जैन मुनि नीलेशचंद्र विजय ने घोषणा की है कि 13 अगस्त से जैन समाज अनशन पर बैठेगा। उनका कहना है कि पर्युषण पर्व के बाद इस मुद्दे पर अगला कदम तय किया जाएगा और कबूतरों को दाना देने पर रोक के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू होगा। उन्होंने कहा, “जैन समाज शांतिप्रिय है, शस्त्र उठाना हमारा काम नहीं है। लेकिन जरूरत पड़ी तो धर्म के लिए शस्त्र भी उठा सकते हैं। हम संविधान, कोर्ट और सरकार का सम्मान करते हैं, लेकिन अगर हमारे धर्म के खिलाफ कुछ रहा तो हम कोर्ट के आदेश को भी नहीं मानते।”
जैन मुनि ने आरोप लगाया कि चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीएमसी से कबूतरों को दाना डालने की अनुमति मांगी गई है, लेकिन अगर बीएमसी, कोर्ट और प्रशासन ने नकारात्मक रुख अपनाया तो देशभर से लाखों जैन यहां इकट्ठा होकर शांतिपूर्ण विरोध करेंगे।
उन्होंने आगे कहा, जैन धर्म में जीव दया सर्वोपरि है। चींटी से लेकर हाथी तक किसी भी जीव की हत्या हमारे धर्म में वर्जित है। हम सत्याग्रह और अनशन का रास्ता अपनाएंगे। रविवार को कबूतर प्रेमियों द्वारा आंदोलन की चेतावनी देने के बाद दादर कबूतरखाना परिसर में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई। पिछले हफ्ते जैन समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कबूतरखाने को जिस प्लास्टिक शीट से ढंका गया था उसे फाड़ दिया था। हालांकि कबूतरखाने की हालत फिलहाल जस की तस है, कटी-फटी शीट और बंधी रस्सियां अब भी वैसी ही हैं। फिलहाल अदालत ने इस मामले में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने और निर्णय का अधिकार उसी समिति को देने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी। ऐसे में 13 अगस्त को होने वाला जैन समाज का अनशन और प्रदर्शन मुंबई में राजनीतिक माहौल गरमा सकता है।