अभिनेता राजपाल यादव पार्थिव शिवलिंग निर्माण कार्यक्रम में हुए शामिल
अभिनेता ने कहा, दद्दा दरबार धार्मिक स्थल मात्र नहीं है, ये मानव के कायाकल्प का केंद्र है, श्रावण मास का सोमवार और कामिनी एकादशी एक साथ होने से आयोजन में श्रद्धालुओं की बढ़ेगी भीड़
मुरैना. बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता कॉमेडी किंग राजपाल यादव अंबाह में आध्यात्मिक रंग में रंगे नजर आए। यादव ने जैन बगीची में आयोजित तीन दिवसीय असंख्य पार्थिव शिवलिंग समारोह में सहभागिता कर पुण्य लाभ अर्जित किया। ब्रह्मलीन संत दद्दा की प्रेरणा से उनके ज्येष्ठ पुत्र गृहस्थ संत डॉ अनिल त्रिपाठी के सानिध्य में दद्दा शिष्य परिवार अंबाह, बरेह, पोरसा एवं समस्त चंबल परिक्षेत्र द्वारा जैन बगीची में शिवलिंग का निर्माण किया जा रहा है। श्रावण मास का सोमवार और कामिनी एकादशी एक साथ आयोजन में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ेगी।
अभिनेता राजपाल यादव ने पूरी श्रद्धा व आस्था के साथ शिवलिंग निर्माण कर वैदिक रीति रिवाज से पूजा की। राजपाल ने कहा कि गुरु पं. देवप्रभाकर शास्त्री ‘दद्दा’ के सानिध्य में रहकर उन्होंने आध्यात्मिक शक्ति को महसूस किया है। आज दद्दा दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके संस्कार व ज्ञान हमारे साथ है। जब कभी संकट में आते हैं तो दद्दा का ध्यान करते हैं। इससे समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। दद्दा दरबार धार्मिक स्थल मात्र नहीं है। ये मानव के कायाकल्प का केंद्र है। जहां आने पर तन-मन स्वत: पवित्र हो जाते हैं। मैं आत्मशुद्धि कराने की मंशा से दद्दा के प्रत्येक आयोजन में आता हूं। मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि वह कई फिल्मों में काम कर रहे हैं। फिलहाल उनकी काफी फिल्में और वेब सीरीज आने वाली है। आयोजन में नगर ही नहीं, समस्त चंबल अंचल से उमड़े हज़ारों श्रद्धालुओं ने सामूहिक पार्थिव शिवलिंग निर्माण, रुद्राभिषेक और सत्संग में सहभागिता कर जैन बगीची को शिवधाम का स्वरूप दे दिया।
राजपाल ने किया शिवलिंग निर्माण
इस भव्य आयोजन में फिल्म अभिनेता राजपाल यादव ने श्रद्धालुओं के बीच बैठकर पार्थिव शिवलिंग निर्माण किया और महारुद्राभिषेक कर उनका पूजन किया और कहा, यह केवल पूजा नहीं, आत्मा को छूने वाला अनुभव है। इस आयोजन में सम्मिलित होकर मैं धन्य हुआ। उनके पहुंचते ही आयोजन स्थल पर विशेष उत्साह की लहर दौड़ गई। युवा उनके साथ सेल्फी लेने को आतुर दिखे।
जीवन के लिए पार्थिव को जानना जरूरी
गृहस्थ संत डॉ अनिल त्रिपाठी ने प्रवचन के दौरान व्यासगद्दी से कहा कि दद्दा का मानना था कि जीवन के लिए पार्थिव को जानना जरूरी है। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था कि नमक जब सामने होगा, तभी नमक का स्वाद जाना जा सकता है। इसलिए ईश्वर को प्राप्त करने के लिए ईश्वर के साकार रूप की उपासना आवश्यक है, तभी उसका अनुभव किया जा सकता है। इसीलिए वे पार्थिव शिवलिंग निर्माण करवाते हैं। ईश्वर भक्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग निर्माण से अधिक सहज और सरल प्रक्रिया हो ही नहीं सकती है। यही कारण है कि इसे सहजता से लोगों ने स्वीकार किया।
संतों का सानिध्य और आयोजन की गरिमा
इस आयोजन में जूझकी आश्रम के महंत महामंडलेश्वर संत बालकदास महाराज, निखिल धाम गैपरा जौरा के महंत महामंडलेश्वर स्वामी पंचमानंद महाराज, अम्बे मैया मंदिर की महंत कल्याणी मैया का आगमन भी हुआ, जिससे श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्राप्त हुआ तथा आयोजन की गरिमा और बढ़ गई।
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