‘जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर जताई हैरानी’
जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर हसन नेआईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उनकी बॉडी लैंग्वेज में कोई कमी नहीं दिखी थी और उनके इस्तीफे के पीछे का कारण बाद में स्पष्ट होगा। मैं डॉक्टर हूं, मुझे बॉडी लैंग्वेज समझने का अनुभव है। मुझे लगता है कि उन्होंने गुस्से में यह कदम उठाया है। शायद किसी ने उनसे कुछ कहा हो या कुछ गलत करवाने की कोशिश की हो।
‘दोषी अफसर की पेंशन रोकी जाए’
एसटी हसन ने मुंबई हाईकोर्ट के 2006 के ट्रेन ब्लास्ट केस से जुड़े फैसले पर कहा, “हमारी अदालतें इंसाफ करती हैं। मैंने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया था कि आतंकवाद के इल्जाम में एक व्यक्ति को 28 साल तक जेल में रखा गया और बाद में वह बेगुनाह साबित हुआ। उसकी जिंदगी तबाह हो चुकी थी। मैंने गृह मंत्रालय से सवाल किया था कि जिस अधिकारी ने उसे जेल भेजा, उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई? यूएपीए जैसे कानूनों में अधिकारियों को इतनी छूट है कि वे बेगुनाहों को जेल भेज देते हैं। अगर किसी के साथ अन्याय होता है, तो दोषी अधिकारियों की पेंशन बंद होनी चाहिए और उन्हें भी कुछ समय के लिए जेल में डालना चाहिए। इसके साथ ही तत्कालीन सरकारों को भी ऐसे मामलों में माफी मांगनी चाहिए।”
‘हिंसा करने वाले शिवभक्त नहीं हो सकते’
हसन ने कांवड़ यात्रा को लेकर कहा, “जो लोग तोड़फोड़ और हिंसा करते हैं, वे शिव भक्त नहीं हो सकते। भोले बाबा शांतिप्रिय हैं, उनकी शिक्षाएं हिंसा की इजाजत नहीं देतीं। कुछ लोग हिंदू-मुस्लिम तनाव पैदा करके सांप्रदायिक पार्टियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश करते हैं। ऐसे तत्वों को चिन्हित कर सजा देनी चाहिए, ताकि सच्चे कांवड़ियों की छवि खराब न हो।”उन्होंने आगे कहा, “मैं बृजभूषण सिंह को अच्छी तरह जानता हूं, वह मेरे साथ संसद में थे। वे एक अच्छे राजनेता हैं और हमेशा इंसाफ की बात करते हैं।”