इस घटना के बाद उड़न दस्ते के अधिकारी रुद्राभन पांडे ने हलधरपुर थाने में लिखित तहरीर देकर राजभर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें आचार संहिता उल्लंघन और अभद्र भाषा के उपयोग का आरोप लगाया गया था।
चुनावी मंच से ओमप्रकाश राजभर ने दिया था बयान
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान, ओमप्रकाश राजभर ने रतनपुरा बाजार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि भाजपा कार्यकर्ता उनके प्रत्याशी महेंद्र राजभर को हराने और उनके समाज के वोटों को हथियाने के लिए अफवाहें फैला रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर यह भी कहा था कि यदि कोई भाजपा कार्यकर्ता ऐसा करते पकड़ा जाए, तो उसे “पहले 10 जूते मारो।” इस बयान से भाजपा कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी फैल गई थी, और इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना गया। इस आधार पर रुद्राभन पांडे, जो उस समय उड़न दस्ते के प्रभारी थे, ने 18 मई 2019 को हलधरपुर थाने में शिकायत दर्ज की थी। इस शिकायत में कहा गया था कि राजभर के बयान से न केवल लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन हुआ, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को भी प्रभावित करने वाला था।
10 हज़ार के मुचलके पर मिली जमानत
18 अगस्त 2025 को मऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रियंका आजाद के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। ओमप्रकाश राजभर ने कोर्ट में सरेंडर किया और जमानत के लिए अर्जी दी। कोर्ट ने उनके तर्कों और प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर उन्हें जमानत दे दी। कोर्ट परिसर से बाहर निकलते समय राजभर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “2019 में रतनपुरा बाजार में एक चुनावी भाषण के दौरान आचार संहिता से संबंधित एक मामला दर्ज हुआ था। मुझे कोर्ट से नोटिस मिला था, और संविधान का सम्मान करते हुए मैं आज पेश हुआ। कोर्ट ने मुझे जमानत दे दी है।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें मामले की पूरी जानकारी नहीं है