ग़ौरतलब है कि मऊ जनपद में शहर से लेकर गांव तक धड़ल्ले से अवैध अस्पताल संचालित हो रहे हैं। जिससे आए दिन मरीजों के मौत की घटनाएं हो रही है जिससे लोग खासा परेशान है कि यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि किस अस्पताल में डॉक्टर है कि अस्पताल में नहीं कौन सा अस्पताल फर्जी है, कौन सा अस्पताल पंजीकृत है।
चार मरीजों के मौत के बाद हड़कंप
पिछले एक सप्ताह में चार मरीजों के मौत होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम निद्रा से जागी और छापेमारी करते हुए साथ फर्जी अस्पतालों को सील कर दिया।लेकिन मामला जब तूल पकड़ा तो मंत्री ए के शर्मा ने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से मऊ जनपद के अवैध अस्पतालों के संचालन की शिकायत किया जिसके बाद डिप्टी सीएम वह स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने मऊ जनपद में जांच के लिए लखनऊ से टीम भेजी है। अब देखना होगा कि लखनऊ की टीम भी जांच करती है या मऊ स्वास्थ्य विभाग की तरह ही केवल कोरम पूर्ति तक सीमित रह जाती है। क्योंकि जिस तरीके से मऊ जनपद में खुलेआम अवैध अस्पताल भी नगर क्षेत्र से लेकर के गांव तक संचालित हो रहे हैं वह स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
सरकारी डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में जुटे
मऊ जनपद में जहां धड़ल्ले से अवैध अस्पताल संचालित हो रहा है। वही खुलेआम सरकारी अस्पताल के डॉक्टर निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। जिससे मरीजों को सरकार के मानसा के अनुसार नि:शुल्क इलाज नहीं मिल पा रहा है ऐसे में देखना होगा कि क्या लखनऊ से आई टीम सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर के निजी प्रैक्टिस पर भी रोक लगा पाएगी।