काशी और अयोध्या के बाद अब कृष्ण नगरी मथुरा की बारी
योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में धार्मिक नगरीय विकास की दिशा में हुए बदलावों को पूरी दुनिया ने देखा है। उन्होंने अब तक काशी के 160, अयोध्या के 85 और मथुरा के 38 दौरे किए हैं। यह दौरे केवल औपचारिक नहीं, बल्कि विकास की ठोस योजनाओं और कार्यों के सूत्रधार हैं। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर और अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के बाद अब मथुरा का कायाकल्प सुनिश्चित करने पर सरकार का पूरा फोकस है। सीएम योगी का मानना है कि भारत की तीन प्रमुख धार्मिक नगरी काशी, अयोध्या और मथुरा न केवल सांस्कृतिक गौरव की धरोहर हैं, बल्कि ये आर्थिक व सामाजिक प्रगति के भी बड़े केंद्र बन सकते हैं। उनके लगातार दौरे इसी दृष्टिकोण को पुष्ट करते हैं।
धार्मिक पर्यटन में वृद्धि और तेज़ी से बढ़ते विकास कार्य
मुख्यमंत्री योगी के लगातार दौरे और व्यक्तिगत निगरानी का सीधा असर मथुरा के धार्मिक पर्यटन पर पड़ा है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकार ने ब्रज क्षेत्र में करोड़ों रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें सड़कों का सुदृढ़ीकरण, तीर्थ स्थलों का सौंदर्यीकरण, घाटों का पुनर्निर्माण, स्वच्छता अभियान और आधुनिक सुविधाओं का विकास प्रमुख हैं। इन प्रयासों का लाभ न केवल तीर्थयात्रियों को मिल रहा है, बल्कि स्थानीय व्यापार, होटल उद्योग, हस्तशिल्प और परिवहन सेवाओं को भी नया जीवन मिला है। धार्मिक पर्यटन से क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।
सांस्कृतिक विरासत और आधुनिकता का अनोखा संगम
योगी सरकार का दृष्टिकोण यह है कि विकास की दौड़ में सांस्कृतिक धरोहरें पीछे न छूटें। मथुरा और ब्रज क्षेत्र में हो रहे कार्य इसी सोच का प्रतिबिंब हैं। एक ओर प्राचीन मंदिरों, कुंडों और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है, तो दूसरी ओर सड़क, बिजली, जलापूर्ति, डिजिटल कनेक्टिविटी और अन्य आधुनिक सुविधाओं का भी विस्तार हो रहा है। इस तरह के विकास से न केवल पर्यटक और भक्त आकर्षित हो रहे हैं, बल्कि स्थानीय लोगों में भी अपनी संस्कृति के प्रति गौरव बोध बढ़ रहा है। सरकार का लक्ष्य मथुरा को विश्व स्तरीय तीर्थनगरी के रूप में स्थापित करना है, जहाँ आने वाले श्रद्धालु ब्रज की प्राचीन आध्यात्मिक अनुभूति और आधुनिक सुविधाओं दोनों का आनंद ले सकें।
सनातन आस्था का सम्मान, सरकार का प्रमुख एजेंडा
योगी सरकार का स्पष्ट संदेश है कि सनातन आस्था का सम्मान केवल एक भावनात्मक विषय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास का भी अहम हिस्सा है। भगवान श्रीराम के अयोध्या, महादेव की नगरी काशी के बाद अब भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के कायाकल्प पर जोर देकर सरकार ने धार्मिक पर्यटन को नए आयाम दिए हैं। मथुरा के विकास के लिए बनाए जा रहे प्रोजेक्ट न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं को लाभ देंगे, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के अनुभव को भी समृद्ध करेंगे। इससे उत्तर प्रदेश को धार्मिक पर्यटन का वैश्विक हब बनाने की दिशा में नई गति मिली है।
आने वाली पीढ़ियों के लिए ब्रज की प्राचीन पहचान सुरक्षित
योगी सरकार का मानना है कि विकास का अर्थ केवल कंक्रीट के ढांचों का निर्माण नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़े रहकर आगे बढ़ना है। इसी कारण, मथुरा में विकास कार्यों के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि कृष्ण जन्मभूमि और ब्रज की प्राचीन पहचान सुरक्षित रहे। प्राचीन घाटों, कुंडों और मंदिरों का जीर्णोद्धार, वृंदावन और गोवर्धन जैसे क्षेत्रों में स्वच्छता और यातायात प्रबंधन, तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक आवास और आधुनिक परिवहन के साधन ,ये सब इस बात के प्रमाण हैं कि विकास और संस्कृति को साथ लेकर चलने की कोशिश हो रही है।
आस्था और विकास का संगम बनता ब्रज क्षेत्र
सीएम योगी के लगातार दौरे और प्रतिबद्धता से यह साफ हो गया है कि मथुरा के कायाकल्प की राह अब तेज़ हो चुकी है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देकर न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान को भी वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में मदद मिलेगी। योगी सरकार का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल है , जहाँ परंपरा, आस्था और आधुनिक विकास का संगम हो, और जहां श्रद्धालु ब्रज की पवित्रता के साथ-साथ आधुनिक सुविधाओं का अनुभव कर सकें।