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एमपी में फिर मंडराया खाद पर संकट, यहां गोदामों पर मची ऐसी भीड़, बुलानी पड़ी पुलिस

Fertilizer Crisis : जिले में मौसम खुलते ही खाद गोदामों पर मची भीड़। व्यवस्था संभालने के लिए बुलानी पड़ी पुलिस। खैरी विपरण गोदाम समेत सिंगारपुर-नैनपुर पहुंची भारी भीड़। महिला किसान तक सुबह 5 बजे से लाइन लगी, फिर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।

मंडलाAug 05, 2025 / 01:22 pm

Faiz

Fertilizer Crisis

फिर मंडराया खाद पर संकट (Photo Source- Patrika Input)

Fertilizer Crisis : मध्य प्रदेश के मंडला में लंबे समय से जारी यूरिया खाद का इंतजार कर रहे किसानों की भीड़ सोमवार को बारिश से राहत मिलने पर सभी खाद गोदामो में उमड़ पड़ी। अचानक उमड़ी भीड़ को संभालने के लिए कर्मचारियों को पुलिस तक का सहारा लेना पड़ा। खैरी विपरण गोदाम समेत सिंगारपुर और नैनपुर में उमड़ी किसानों की भीड़ के कारण वितरण व्यवस्था संभालना मुश्किल हो गया। वहीं, खैरी गोदाम में व्यवस्थाओं को संभालने के लिए कोतवाली पुलिस की मदद तक लेनी पड़ी। हालांकि, गोदाम प्रबंधन के इस रवैय्ये से किसानों के बीच नाराजगी नजर आई। क्योंकि, यहां भीड़ इतनी अधिक हो गई थी कि, कई किसान खाली हाथ ही लौट गए।
जानकारी के अनुसार, रैक नहीं लगने के कारण जिले में यूरिया खाद की कमी बनी हुई है। पिछले 20 दिनों से बारिश के चलते खाद का वितरण भी नहीं हो पा रहा था। दो दिन पहले ही चिरई डोंगरी में रैक लगने के बाद लेम्पस और विपणन में यूरिया खाद पहुंची है। इंतजार कर रहे किसानों को राहत तो मिली। लेकिन, एक दम से उमड़ी भीड़ के कारण स्थित संभालना मुश्किल हो गया। हाल ही में जिले को 560 एमटी यूरिया प्राप्त हुआ है। जो अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा गया है, जिसमें डबल लॉक केंद्र मंडला को 90 मेट्रिक टन, नैनपुर को 100 मेट्रिक टन, बिछिया को 92 मेट्रिक टन और लेम्पस समितियों को 250 मैट्रिक टन प्रदाय किया गया है। मार्केटिंग सोसाइटी बिछिया को 30 मेट्रिक टन अलग से प्रदाय किया गया।

विपणन केन्द्र में पुलिस ने संभाली व्यवस्था

खैरी विपणन केन्द्र से नगद में खाद का वितरण किया जाता है। मौजूदा खाद की स्थिति ये है कि, प्राइवेट कृषि केंद्रों में भी यूरिया उपलब्ध नहीं है। लगातार बारिश के बाद सोमवार को मौसम भी खुला रहा। खैरी में हाल ही में प्राप्त खाद समेत 120 मेट्रिक टन खाद उपलब्ध है। यूरिया के लिए सुबह 5 बजे से ही केंद्र में किसान पहुंच गए और खाद के लिए कतार में लग गए। सुबह 11-12 बजे के बीच अचानक आसपास क्षेत्र से भी किसानों की भीड़ उमड़ पड़ी। खाद लेने की होड़ में किसान की कतार टूट गई और पहले खाद पाने के लिए किसानों ने हंगामा शुरू कर दिया।

200 किसानों की क्षमता, पर पहुंचे 500 से अधिक

यहां खाद वितरण के लिए महिला के लिए अलग और पुरुष के लिए अलग काउंटर बनाए गए हैं। लेकिन काउंटर में सैकंड़ों की संख्या में किसान पहुंच गए। स्थिति बिगड़ते देख जिला विपणन अधिकारी रामस्वरूप तिवारी को सूचना दी गई। उन्होंने मौके पर पहुंचकर राजस्व अधिकारियों के साथ पुलिस की भी मदद ली। पुलिस के तीन जवान किसानो को समझाने का प्रयास करते रहे, ताकि कतार में लगकर सभी खाद प्राप्त कर सकें। यहां दिन में अधिकतम 200 किसानो को पीओएस मशीन में एंट्री के बाद वितरण किया जा सकता है। एक किसान की प्रक्रिया में 10 से 15 मिनट तक का समय लगता है। लेकिन कतार में 500 से अधिक किसान लगे रहे।

टोकन देकर कहा- कल आना

भीड़ कम करने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्काल लाइन में लगे अतिरिक्त किसानो को टोकन का वितरण किया गया। उनसे कहा कि टोकन लेकर कल आएं तो उन्हें समय पर खाद मिल जाएगी। लेकिन टोकन प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या भी अधिक रही। पहली बार 165 टोकन बांटे गए। फिर संख्या अधिक होने पर और टोकन का वितरण किया गया।

महिला किसानों में भारी नाराजगी

खाद लेने पहुंची महिला किसानों के बीच भी विवाद की स्थिति देखने को मिली। काफी समय के बाद भी खाद न मिलने पर महिलाओं की कतार टूट गई और पहले खाद लेने के लिए महिलाओं में होड़ लगने लगी। यहां भी पुलिस के जवान समझाने के लिए पहुंचे, लेकिन महिला पुलिस न होने के कारण उन्हे वापस लौटना पड़ा। कुछ समय के लिए काउंटर बंद करना पड़ा। इसके बाद जब स्थिति नियंत्रित हुई तो वितरण शुरू किया गया। सुबह से कतार में लगी कई महिला किसानों को दोपहर तक खाद नहीं मिल सकी और उन्हे खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।

‘व्यवस्था बेहद खराब है’

पीपर पानी निवासी किसान राधा बाई का कहना है कि, सुबह 5 बजे से आकर खाद के लिए लाइन में लगे हैं। लेकिन, पीछे आने वाले लोग सामने जाकर खाद ले रहे हैं, जिन्हें रोकने वाला यहां कोई नहीं है। पूरा दिन निकल गया, लेकिन आज खाद मिले ये उम्मीद भी नहीं है।

‘एक लाइन से 4 लाईन हो गईं’

वहीं, भापसा टोला निवासी इंदरा बाई भांवरे का कहना है कि, गर्मी में हालत खराब हो गई है। सुबह से आकर हम पीछे बैठे हैं। सामने एक लाइन से 4 लाईन हो गईं, जिन्हें खाद दिया जा रहा है। यहां व्यवस्थित खाद वितरण के लिए कोई नजर नहीं आ रहा है। महिलाएं पेरशान है।

‘सबको खाद मिलने की गरंटी नहीं’

चौगान निवासी कृपाचार परते ने कहा कि, एक किसान को मात्र दो बोरी यूरिया ही दिया जा रहा है। जबकि, आवश्यकता इससे तीन से चार गुना तक है। प्राइवेट केन्द्रों भी यूरिया नहीं मिल रहा है। 20 दिन बाद खाद बांट रहे हैं। लेकिन सभी को मिल सके इसकी गारंटी नहीं है।

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