बीते दिनों कमजोर पड़ा मानसून
शनिवार और रविवार को प्रदेश के पश्चिमी व तराई क्षेत्रों में कहीं-कहीं हल्की बारिश दर्ज की गई। शामली, बिजनौर, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जैसे जिलों में छिटपुट बूंदाबांदी हुई, जबकि लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद (प्रयागराज) और वाराणसी में बादल छाए रहने के बावजूद बारिश न के बराबर हुई। मौसम विभाग के अनुसार, यह कमजोरी अस्थायी थी और बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र से आने वाली नमी इस कमी को जल्द पूरा कर देगी।
13 से 15 अगस्त: पूर्वी और पश्चिमी यूपी में जोरदार बारिश के आसार
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 13 अगस्त की देर शाम से पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, बलिया, आजमगढ़, जौनपुर, वाराणसी और प्रयागराज क्षेत्रों में तेज बारिश शुरू होगी। इसके बाद यह बारिश धीरे-धीरे लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा, मेरठ, सहारनपुर तक फैल जाएगी। पश्चिमी यूपी के लिए भी 14 और 15 अगस्त को अच्छी बारिश की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने किसानों और आम लोगों को आगाह किया है कि इस दौरान निचले इलाकों में जलभराव और बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। विशेषकर उन जिलों में, जहां पहले से ही नदी-नाले उफान पर हैं, वहां सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
बाढ़ से 20 से ज्यादा जिले प्रभावित
फिलहाल प्रदेश के प्रयागराज, वाराणसी, चित्रकूट, बदायूं समेत 20 से अधिक जिले बाढ़ की चपेट में हैं। गंगा, यमुना, घाघरा और शारदा जैसी नदियां खतरे के निशान के पास या उससे ऊपर बह रही हैं। कई निचले क्षेत्रों में नावों से लोगों की आवाजाही हो रही है। प्रयागराज के फाफामऊ, वाराणसी के आदमपुर और गाजीपुर के जमानियां इलाके में बाढ़ का पानी घरों और खेतों तक घुस चुका है। चित्रकूट और बांदा में केन और बेतवा नदियों में उफान है, जिससे नदी किनारे के गांवों में खतरा बना हुआ है। राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात हैं।
धान और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान
कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जलभराव और बाढ़ से प्रदेश में धान की रोपाई और बढ़वार पर बुरा असर पड़ा है। खेतों में कई दिनों तक पानी भरे रहने से पौधे पीले पड़ने लगे हैं और फसल सड़ने लगी है। इसके अलावा जमीन पर फैलकर उगने वाली सब्जियां, कद्दू, लौकी, तरोई, करेला आदि, पानी में डूबकर गल रही हैं। प्रयागराज, प्रतापगढ़ और जौनपुर में सफेद तिल की फसल भी चौपट हो रही है। ज्वार, बाजरा और उड़द जैसी खरीफ की फसलों पर भी बारिश और नमी का दुष्प्रभाव देखा जा रहा है।
किसानों की बढ़ी चिंता
जौनपुर के किसान रामलाल पटेल बताते हैं, “धान की रोपाई तो हमने समय पर कर दी थी, लेकिन अब खेत में लगातार पानी भरने से पौधे काले पड़ने लगे हैं। अगर अगले 4-5 दिन पानी नहीं निकला, तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी।” प्रयागराज के करछना क्षेत्र में किसान रामजी यादव का कहना है कि सब्जियों की फसल इस साल घाटे में जा रही है। “कद्दू और लौकी तो पानी में गलकर खत्म हो गए, और मंडी में जो थोड़ी बहुत सब्जी पहुंच रही है, उसकी कीमत भी नहीं मिल रही।”
मंडी में महंगाई के आसार
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सब्जियों और अनाज की फसल पर पड़े असर से आने वाले हफ्तों में मंडियों में दाम बढ़ सकते हैं। खासकर हरी सब्जियां, जैसे लौकी, तोरई, कद्दू और हरी मिर्च, के दाम दोगुने तक जा सकते हैं। इसके अलावा तिलहन और मोटे अनाज के उत्पादन में गिरावट से तेल और आटे की कीमत पर भी असर पड़ सकता है।
प्रशासन की तैयारी
प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को बाढ़ और भारी बारिश से निपटने के लिए अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए हैं। राहत शिविरों में पीने का पानी, सूखा राशन और दवाओं की व्यवस्था की जा रही है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में चूना, ब्लीचिंग पाउडर और क्लोरीन की गोलियां बांटी जा रही हैं ताकि पानी जनित बीमारियों का फैलाव रोका जा सके। राजस्व विभाग ने बाढ़ से प्रभावित किसानों के नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। आपदा राहत कोष से जल्द मुआवजे की राशि जारी की जाएगी।
मौसम विभाग की सलाह
मौसम विभाग ने अगले हफ्ते तक किसानों को सलाह दी है कि वे खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था करें और खरीफ फसलों की निगरानी करते रहें। शहरों में रहने वाले लोगों को निचले इलाकों में अनावश्यक आवाजाही से बचने और बिजली के पोल, तार आदि से दूरी बनाए रखने की हिदायत दी गई है।
आगे का पूर्वानुमान
वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बने इस वेदर सिस्टम का असर केवल उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भी बारिश बढ़ेगी। यूपी में 15 अगस्त के बाद भी 2-3 दिन तक हल्की से मध्यम बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है।