असीम अरुण ने ठुकराई नीली बत्ती वाली गाड़ी, नियमों की सख्ती से रखी लाज
बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि: सरकार का स्पष्ट संदेश
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) और परिवहन सुरक्षा मानक पहले से निर्धारित हैं, लेकिन विगत वर्षों में यह पाया गया कि कई निजी वाहन स्वामी और स्कूल इन नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।- वाहन का फिटनेस प्रमाणपत्र न होना
- बीमा या परमिट की अवधि समाप्त होना
- ब्रेक, सस्पेंशन या टायर की स्थिति खराब होना
- ओवरलोडिंग (कक्षा 1 से 5 के बच्चों कोぎぎ जगह से अधिक बैठाना)
- ड्राइवर के पास वांछित व्यावसायिक लाइसेंस का न होना
- सीएनजी/डीजल वाहनों का मानक उत्सर्जन प्रमाणपत्र (PUC) न होना
- इन स्थितियों में किसी भी समय दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है, जिससे मासूम बच्चों की जान जोखिम में पड़ती है।

अभियान की रूपरेखा: सख्त निगरानी, त्वरित कार्रवाई
- परिवहन आयुक्त कार्यालय द्वारा सभी जिलों को निर्देशित किया गया है कि:
- स्थानीय आरटीओ अधिकारियों की देखरेख में विशेष निरीक्षण दल गठित किए जाएं
- स्कूलों के बाहर, मुख्य मार्गों, बस स्टॉप, और पार्किंग स्थलों पर सुबह–शाम निरीक्षण हो
- प्रत्येक स्कूल वाहन की फिटनेस, बीमा, चालक लाइसेंस, परमिट, PUC आदि की जांच की जाए
- सभी वाहनों की जानकारी को डिजिटल पोर्टल पर अपलोड किया जाए
- गंभीर रूप से अनफिट वाहनों को मौके पर सीज कर दिया जाए
- स्कूल प्रबंधकों को नोटिस भेजे जाएं और जिम्मेदारी तय की जाए
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नियम तोड़ने पर होगी ये कार्रवाई
यदि कोई स्कूल वाहन निम्न गड़बड़ियों के साथ पाया गया तो निम्नलिखित कार्रवाइयां की जाएंगी:दोष | कार्रवाई |
फिटनेस प्रमाणपत्र न होना | ₹5,000 तक जुर्माना व वाहन सीज |
ड्राइवर का लाइसेंस न होना | ₹10,000 जुर्माना व एफआईआर |
ओवरलोडिंग | ₹2,000 प्रति अतिरिक्त बच्चे पर जुर्माना |
स्कूल प्रशासन की लापरवाही | नोटिस, मान्यता निरस्त की सिफारिश |
बार-बार उल्लंघन | वाहन का पंजीकरण निरस्त |
स्कूल प्रबंधकों को चेतावनी
परिवहन विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि स्कूल प्रबंधक स्वयं जिम्मेदार माने जाएंगे यदि वे किसी अनफिट या अपंजीकृत वाहन को छात्रों के लिए सेवा में लगाते हैं। स्कूलों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने कॉन्ट्रैक्टेड वाहनों की संपूर्ण जांच कर यह सुनिश्चित करें कि वाहन सभी नियमों के अनुरूप हों। जिन स्कूलों ने ठेके पर निजी वैन या मिनी बसें लगा रखी हैं, उन्हें भी जांच कर यह सुनिश्चित करना होगा कि ठेकेदारों द्वारा फिट और नियमबद्ध वाहन ही लगाए जा रहे हैं।जुलाई से महंगी होगी बिजली, उपभोक्ताओं को देना होगा 1.97% अतिरिक्त शुल्क
पिछले वर्षों से सबक: दुर्घटनाओं ने किया था आगाह
वर्ष 2023 और 2024 में प्रदेश के कई जिलों जैसे बरेली, मथुरा, कानपुर और आजमगढ़ में स्कूल वैन दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें बच्चों को चोटें आई थीं और एक-दो मामलों में मृत्यु भी हुई। इन घटनाओं ने प्रशासन और अभिभावकों दोनों को झकझोर दिया। प्रारंभिक जांच में यही पाया गया था कि वाहन या तो ओवरलोडेड थे, या उनके ब्रेक, स्टीयरिंग जैसे यांत्रिक उपकरण ठीक से काम नहीं कर रहे थे। इसी वजह से इस वर्ष अभियान को और अधिक व्यापक और सख्त बनाया गया है।लखनऊ में 82 प्राथमिक स्कूलों का हुआ विलय, पहली जुलाई से नए स्कूल में पढ़ाई शुरू
अभिभावकों की भूमिका भी अहम
