रेड अलर्ट वाले जिले और संभावित खतरे
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, सुबह 3:15 बजे जारी ‘नाउकास्ट’ बुलेटिन में सीतापुर, बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती और लखीमपुर खीरी जिलों को रेड जोन में रखा गया है। इसका अर्थ है कि इन जिलों में अगले कुछ घंटों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आंधी चल सकती है और साथ ही भारी बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं भी हो सकती हैं। इन परिस्थितियों में जन-धन को नुकसान की संभावना जताई गई है, जिससे आमजन को अत्यधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
मध्यम बारिश और बिजली गिरने का भी अलर्ट
इसके अतिरिक्त, प्रयागराज, प्रतापगढ़, अमेठी, गाजीपुर, बाराबंकी, बलरामपुर, शाहजहांपुर, सिद्धार्थनगर, लखनऊ, अयोध्या, बस्ती, चित्रकूट, बांदा, कौशांबी, फतेहपुर, रायबरेली, जालौन, रामपुर, बदायूं, पीलीभीत, फर्रुखाबाद, संभल और मुरादाबाद समेत अन्य जिलों को मध्यम बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी दी गई है। इन क्षेत्रों को ‘बी प्रीपेयर्ड’ श्रेणी में रखा गया है, यानी कि जनता को संभावित खतरों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है।
दूसरी चेतावनी और संभावित विस्तार
सुबह 6:21 बजे जारी दूसरी चेतावनी में महोबा, हमीरपुर, जालौन, लखनऊ, बाराबंकी, हरदोई, सीतापुर, बहराइच और लखीमपुर खीरी जिलों को शामिल किया गया। मौसम विभाग ने कहा कि अगले 2 से 3 घंटों तक इन क्षेत्रों में मौसम खराब रह सकता है। इसके बाद यह प्रभाव और भी जिलों में फैल सकता है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि यह स्थिति मानसून के सक्रिय होने के संकेत हैं और आगामी दिनों में राज्य भर में भारी बारिश देखने को मिल सकती है।
सावधानी और प्रशासन की तैयारी
मौसम विभाग और राज्य सरकार की ओर से आम जनता को सलाह दी गई है कि वे अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें। खुले मैदानों, पेड़ों, बिजली के खंभों और पानी से भरे स्थानों से दूर रहें। किसान खेतों में काम करते समय विशेष सतर्कता बरतें और बिजली से जुड़े उपकरणों का उपयोग सावधानीपूर्वक करें। राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए हैं। संभावित आपदा प्रबंधन, बिजली आपूर्ति, पेड़ गिरने की घटनाएं, जलभराव, और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई दलों को तैयार रहने के आदेश दिए गए हैं। बिजली विभाग और नगर निगमों को विशेष रूप से सतर्क रहने और आपात स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाने के लिए कहा गया है।
आपदा प्रबंधन की रणनीति
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने भी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। जिला स्तर पर कंट्रोल रूम सक्रिय कर दिए गए हैं और स्थानीय प्रशासन को किसी भी आपातकालीन परिस्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। साथ ही स्वास्थ्य विभाग को अस्पतालों में जरूरी दवाइयों और मेडिकल स्टाफ की उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा गया है। बिजली गिरने की घटनाएं और सुरक्षा उपाय
बिजली गिरने की घटनाएं उत्तर भारत के मानसूनी मौसम में आम होती जा रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, खुले में मोबाइल फोन का इस्तेमाल, धातु के उपकरणों के पास रहना, या ऊंचे पेड़ों के नीचे खड़ा होना जोखिमपूर्ण हो सकता है। इन परिस्थितियों से बचने के लिए लोगों को सुरक्षित आश्रय स्थलों पर रहना चाहिए और बिजली गिरने की स्थिति में खुद को कम ऊंचाई पर रखने की कोशिश करनी चाहिए।