शिक्षा नहीं, शराब प्राथमिकता में: संजय सिंह
संजय सिंह ने कहा,“जब स्कूलों की छतें गिर रही हैं, बच्चे ज़मीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं और शिक्षक नदारद हैं, तब योगी सरकार प्रदेश में 27,308 शराब की दुकानें खोलने में व्यस्त है। यह सरकार शिक्षा नहीं, शराब को प्राथमिकता दे रही है।”उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रति छात्र सालाना शिक्षा पर ₹9,167 का खर्च हो रहा है, जबकि राष्ट्रीय औसत ₹12,768 है। इसका मतलब है कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। शिक्षकों की भारी कमी: शिक्षा व्यवस्था का बुनियादी संकट
- संजय सिंह ने बताया कि सरकार के ही आंकड़ों के अनुसार
- प्राथमिक स्तर पर 1,93,000 शिक्षक पद रिक्त हैं।
- माध्यमिक स्तर पर 3,872 शिक्षक की जरूरत है।
- वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर 8,714 शिक्षक की कमी है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि प्रदेश के लाखों बच्चे शिक्षकों के अभाव में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हैं। कई जिलों में प्राथमिक विद्यालय सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।
खतरनाक स्कूल भवन और गिरते ढांचे
प्रयागराज जिले में ही 633 स्कूल ‘खतरनाक’ घोषित किए गए हैं। इन स्कूलों की इमारतें कभी भी गिर सकती हैं, जिससे बच्चों की जान जोखिम में है। संजय सिंह ने कहा “सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को रामभरोसे छोड़ दिया है, और अब बच्चों की ज़िंदगी को भी दांव पर लगा दिया है।”
“बच्चों से किताबें छीन, शराब थमाई” -आप की तीखी टिप्पणी
संजय सिंह ने सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब स्कूल बंद हो रहे थे, उस दौरान सरकार शराब दुकानों के विस्तार में लगी रही। उन्होंने कहा कि “बच्चों से किताबें छीनी गईं और शराब की बोतलें थमाई जा रही हैं। यह देश के भविष्य के साथ घोर अन्याय है।”
स्कूल बंद करने का तर्क फेल -बच्चों की संख्या खुद सरकार ने घटाई
सरकार का तर्क है कि स्कूलों में बच्चों की संख्या कम है, इसलिए उन्हें बंद किया जा रहा है या मर्ज किया जा रहा है। इस पर संजय सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि “बच्चों की संख्या इसलिए कम हुई क्योंकि सरकार ने स्कूलों में शिक्षक नहीं दिए, सुविधाएं नहीं दीं, और स्कूलों को जर्जर हालत में छोड़ दिया। यह सुनियोजित तरीके से शिक्षा व्यवस्था को खत्म करने की साजिश है।”
डबल इंजन सरकार की दोहरी नीति: शराब के लिए धन, शिक्षा के लिए नहीं
आप सांसद ने योगी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि डबल इंजन सरकार सिर्फ शराब बेचने में डबल स्पीड दिखा रही है। उन्होंने कहा कि “जब स्कूलों को बचाने की बात आती है, तो खजाना खाली हो जाता है। लेकिन शराब के ठेके खोलने हों, तो सरकार के पास पैसा, नीति और तत्परता तीनों होती हैं।”
‘मधुशाला नहीं पाठशाला चाहिए’: आम आदमी पार्टी का आंदोलन
आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में ‘स्कूल बचाओ आंदोलन’ की शुरुआत की है। इस आंदोलन के तहत कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर सरकार की नीतियों का पर्दाफाश करेंगे। पार्टी का नारा है: “मधुशाला नहीं, पाठशाला चाहिए।” संजय सिंह ने कहा,“हम इस आंदोलन को तब तक चलाएंगे जब तक प्रदेश के हर बच्चे को शिक्षक, स्कूल और शिक्षा का अधिकार नहीं मिल जाता।”
2027 का चुनाव शिक्षा पर केंद्रित रहेगा: संजय सिंह
संजय सिंह ने कहा कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी शिक्षा को मुख्य मुद्दा बनाएगी।“यह सरकार गरीब, दलित, पिछड़े और किसान के बच्चों को पढ़ने नहीं देना चाहती। सरकार चाहती है कि गरीब का बच्चा मजदूरी करे, और अमीर का बच्चा अफसर बने।”उन्होंने आगे कहा कि “2027 में जनता इस सरकार को सत्ता से बाहर करेगी और एक ऐसी सरकार लाएगी जो शिक्षा को प्राथमिकता दे।”
सरकार को चेतावनी: अगर अब भी नहीं चेती तो…
संजय सिंह ने साफ कहा कि यदि सरकार ने तुरंत बंद स्कूलों को फिर से खोलने,सभी स्तरों पर शिक्षक भर्ती शुरू करने,खस्ताहाल स्कूल भवनों की मरम्मत कराने जैसे ठोस कदम नहीं उठाए, तो आम आदमी पार्टी सड़क से संसद तक आंदोलन करेगी।
शिक्षा के नाम पर खिलवाड़ नहीं चलेगा
उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर उठे ये सवाल न सिर्फ सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल हैं, बल्कि यह राज्य के भविष्य को लेकर एक गंभीर चेतावनी भी है। अगर स्कूल बंद होते रहे, शिक्षक नहीं आए और शिक्षा का बजट घटता रहा, तो प्रदेश के करोड़ों बच्चों का भविष्य अंधेरे में चला जाएगा। आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी सरकार इस मुद्दे पर किस तरह प्रतिक्रिया देती है – शब्दों में या कार्यों में?