संसद सत्र पर मायावती का फोकस
बसपा प्रमुख ने चिंता जताई कि पिछले सत्रों की तरह इस बार भी संसद में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव, हंगामा और आरोप-प्रत्यारोप हो सकते हैं, जिससे जनता के लिए ‘अच्छे दिन’ की उम्मीद धूमिल हो सकती है। मायावती ने कहा कि देश की जनता महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, क्षेत्रीय और भाषाई विवादों, हिंसक टकराव और अपर्याप्त सुविधाओं से जूझ रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए संसद में सार्थक बहस और दीर्घकालिक नीतियां बनाना जरूरी है, ताकि देश विकास के रास्ते पर आगे बढ़े और सभी वर्गों का कल्याण हो।
देशहित पहले: मायावती
मायावती ने वैश्विक स्तर पर बदलते राजनीतिक और आर्थिक हालात का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र और संप्रभुता के सामने नई चुनौतियां उभर रही हैं। इनका मुकाबला करने के लिए सरकार को विपक्ष और जनता को विश्वास में लेकर एकजुटता के साथ काम करना होगा। मायावती ने जोर दिया कि सरकार और विपक्ष को पार्टी हितों से ऊपर उठकर देशहित में एकता दिखानी चाहिए। पहलगाम नरसंहार और ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ पर चर्चा की मांग करते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए।
‘जनहित में मिलकर काम करें सरकार और विपक्ष’
मायावती ने जोर दिया कि देश और सीमाओं की सुरक्षा सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन विपक्ष को भी इस मामले में पार्टी हितों से ऊपर उठकर सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश और जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है, और इसके लिए सरकार और विपक्ष दोनों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सत्र जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा और संसद सुचारू रूप से चलकर देश के विकास और लोगों की तरक्की के लिए ठोस कदम उठाएगा।