10 वर्षों बाद ऐतिहासिक संशोधन
लखनऊ में पिछली बार सर्किल दरों में संशोधन वर्ष 2015 में किया गया था। उसके बाद यह पहला अवसर है जब प्रशासन ने इतनी व्यापक दर संशोधन प्रक्रिया को अंजाम दिया है। जनपद के विभिन्न इलाकों की भौगोलिक, आर्थिक और विकासात्मक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए दरें संशोधित की गई हैं। यह निर्णय न केवल राजस्व वृद्धि की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि संपत्ति बाजार की पारदर्शिता और संतुलन बनाए रखने का भी प्रयास है।
प्रक्रिया रही पारदर्शी और जनसहभागिता आधारित
जिलाधिकारी विशाख जी ने स्पष्ट किया कि नई दरें किसी एकतरफा निर्णय का परिणाम नहीं हैं, बल्कि यह प्रक्रिया जनसुनवाई, आपत्तियों और सुझावों पर आधारित रही। उन्होंने कहा, “हमने सभी नागरिकों, रजिस्ट्री कार्यालयों, बिल्डर्स और रियल एस्टेट विशेषज्ञों से सुझाव आमंत्रित किए थे। प्राप्त आपत्तियों और सुझावों का विधिवत विश्लेषण कर प्रस्तावित दरों को अंतिम रूप दिया गया।”
15% से 50% तक की बढ़ोतरी, कई इलाकों में दरें दोगुनी
प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार नई सर्किल दरों में 15% से लेकर 50% तक की वृद्धि की गई है। यह वृद्धि क्षेत्र-विशेष की मांग, शहरी विस्तार, बुनियादी ढांचे और बाज़ार मूल्यों को ध्यान में रखते हुए की गई है। - ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि की दरें औसतन 15% से 40% तक बढ़ाई गई हैं।
- शहरी क्षेत्रों में यह इजाफा 25% से लेकर 50% तक का हो सकता है।
- कुछ इलाकों में तो यह वृद्धि 100% यानी दोगुनी तक पहुंच गई है, जिससे संपत्ति खरीदना अब महंगा हो जाएगा।
शहर के प्रमुख इलाकों में रिकॉर्ड तोड़ दरें
लखनऊ के हाई-डिमांड क्षेत्रों में सर्किल रेट्स ने पुराने सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ दिया है। इनमें गोमतीनगर, इंदिरानगर, विभूतिखंड जैसे क्षेत्र प्रमुख हैं:
- इंदिरानगर में वर्ष 2015 में जहां दर ₹27,000 प्रति वर्ग मीटर थी, अब यह बढ़कर ₹62,000 हो गई है।
- विभूतिखंड में यह दर ₹40,000 से बढ़कर ₹70,000 प्रति वर्ग मीटर हो चुकी है।
- गोमतीनगर के अन्य सेक्टरों में यह वृद्धि ₹30,500 से बढ़कर ₹77,000 प्रति वर्ग मीटर तक पहुँच चुकी है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि लखनऊ का रियल एस्टेट परिदृश्य अब एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है, जहां सरकारी मूल्यांकन दरें बाज़ार दरों के अधिक समीप आ गई हैं।
- बाजार पर असर: रजिस्ट्री, टैक्स और होम लोन होंगे प्रभावित
- नई दरों के लागू होने के कई प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रभाव देखे जाएंगे।
- रजिस्ट्री शुल्क और स्टांप ड्यूटी की गणना सर्किल रेट के आधार पर होती है, जिससे अब रजिस्ट्री महंगी हो जाएगी।
- संपत्ति खरीदने वालों को अधिक होम लोन की आवश्यकता होगी, क्योंकि कुल लागत बढ़ेगी।
- संपत्ति पर लगने वाला टैक्स (जैसे कि संपत्ति कर) भी नई दरों के अनुसार पुनः मूल्यांकन के अधीन आ सकता है।
रियल एस्टेट सेक्टर की मिली-जुली प्रतिक्रिया
हालाँकि बिल्डरों और डेवलपर्स ने सर्किल दरों में संशोधन का स्वागत किया है, परंतु उन्होंने यह भी कहा कि इतनी तीव्र दर वृद्धि से अल्पकालिक रूप से बिक्री पर असर पड़ सकता है। लखनऊ बिल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव खन्ना ने कहा, “यह आवश्यक था कि सर्किल रेट्स को बाजार भाव के अनुरूप लाया जाए। लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि इससे मध्यमवर्गीय खरीददारों पर कितना आर्थिक बोझ पड़ता है।”
निवेशकों के लिए नई संभावनाएं
संपत्ति विशेषज्ञों के अनुसार, सर्किल रेट्स की यह बढ़ोतरी निवेश के दृष्टिकोण से सकारात्मक मानी जा रही है। यह संकेत देता है कि लखनऊ में रियल एस्टेट बाजार अब परिपक्व हो रहा है और इससे क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
प्रशासन की अगली योजना
सूत्रों के अनुसार, जिला प्रशासन अब हर तीन से पाँच वर्षों के भीतर सर्किल रेट्स की समीक्षा की योजना पर काम कर रहा है, ताकि दरों को समय के साथ सामंजस्यपूर्ण बनाया जा सके।