घटना का पूरा विवरण
घटना उस समय हुई जब दो वरिष्ठ अफसरों के बीच कार्यालय में किसी बात को लेकर कहासुनी हुई। सूत्रों के अनुसार यह विवाद आरटीआई (सूचना का अधिकार) के एक मामले को लेकर शुरू हुआ। योगेंद्र मिश्रा का कहना है कि उन्होंने एक आरटीआई के तहत सवाल पूछा था कि उनके तबादले के पीछे क्या कारण है। वे आरोप लगाते हैं कि इस मामले को गौरव गर्ग ने मीडिया में लीक कर दिया था, जिससे विभाग और उनके व्यक्तिगत मान-सम्मान को नुकसान पहुंचा। विवाद इतना बढ़ा कि गुस्से में योगेंद्र मिश्रा ने गिलास फेंक दिया, जो सीधे गौरव गर्ग के सिर पर लगा। इससे उनका सिर फट गया और होंठ कट गए। घटना के बाद दफ्तर में अफरा-तफरी मच गई। आस पास के कर्मचारी और अधिकारी तुरंत मदद के लिए जुट गए और पुलिस को सूचना दी गई।
पुलिस और चिकित्सा कार्रवाई
घटना के तुरंत बाद गौरव गर्ग को सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका प्राथमिक उपचार किया गया। उनके चोटिल होने की खबर जैसे ही सामने आई, पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित जांच शुरू कर दी। एसीपी हजरतगंज विकास जायसवाल ने बताया कि गौरव गर्ग ने योगेंद्र मिश्रा के खिलाफ जानलेवा हमला और सरकारी कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज कराया है। पुलिस इस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है।
विवाद के पीछे की वजह
मिली जानकारी के अनुसार, दोनों अफसरों के बीच यह विवाद आरटीआई के एक संवेदनशील मामले को लेकर हुआ था। योगेंद्र मिश्रा ने आरोप लगाया है कि उनका तबादला एक राजनीतिक साजिश के तहत किया जा रहा है और इसके कारण वे सवाल उठा रहे थे। गौरव गर्ग ने कहा कि इस मुद्दे को सार्वजनिक कर विभाग की छवि खराब की गई। इस तकरार ने तनाव को बढ़ा दिया, जो अंततः हाथापाई तक पहुंच गया।
आयकर विभाग में हलचल
यह घटना न केवल दो अफसरों के बीच व्यक्तिगत झगड़े को दर्शाती है, बल्कि इससे आयकर विभाग के कामकाज पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। विभाग के कर्मचारियों के बीच तनाव और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। अधिकारियों ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि ऐसे व्यवहार से विभाग की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचता है और इससे आम जनता का विश्वास डगमगा सकता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश पुलिस और संबंधित प्रशासनिक अधिकारी इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। जांच के बाद दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है। साथ ही, विभागीय प्रशासन ने भी मामले को संज्ञान में लेते हुए अफसरों के बीच शांति स्थापित करने और कामकाज में व्यवधान न आने देने के निर्देश दिए हैं। कानूनी और प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी दफ्तरों में इस प्रकार की हिंसक घटनाएं गंभीर हैं और इससे सरकारी तंत्र की छवि खराब होती है। वे सुझाव देते हैं कि ऐसे मामलों को तुरंत सुलझाने के लिए विभागीय स्तर पर मध्यस्थता और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध करानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।