scriptकेशव मौर्य के बाद ब्रजेश पाठक की शाह से मुलाक़ातों के मायने क्या है? उत्तर प्रदेश में सत्ता-संगठन समीकरण में हलचल | After Keshav Maurya, what is the meaning of Brajesh Pathak's meeting with Shah? Stir in the power-organization equation in Uttar Pradesh | Patrika News
लखनऊ

केशव मौर्य के बाद ब्रजेश पाठक की शाह से मुलाक़ातों के मायने क्या है? उत्तर प्रदेश में सत्ता-संगठन समीकरण में हलचल

उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल तेज हो गई है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बाद अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। जानकारों की मानें तो ब्रजेश पाठक की यह सक्रियता आने वाले समय में बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेत हो सकती है। भविष्य की रणनीति और पार्टी में संभावित फेरबदल की अटकलों के बीच यह मुलाकात प्रदेश की राजनीति में एक नए मोड़ की ओर इशारा कर रही है।

लखनऊJul 19, 2025 / 03:01 pm

ओम शर्मा

Brajesh Pathak and Amit Shah

यूपी के नेता दिल्ली दरबार में क्यों कतार में हैं? Patrika

लखनऊ – उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी की अंदरुनी सियासत सुगबुगाहट के दौर से गुजर रही है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक की अमित शाह से मुलाकात के बाद सियासी चर्चा तेज हो गई है। भले ही ये मुलाकातें शिष्टाचार बताई जाएं, लेकिन यूपी में राजनीति के जानकार इन बैठकों को सीधे 2027 की पिच तैयार करने से जोड़कर देख रहे हैं।
Brajesh Pathak and Amit Shah
दिल्ली दौरे के मायने Patrika
सत्ता और संगठन में होगा संतुलन गृहमंत्री अमित शाह से दोनों नेताओं की मुलाकातों का वक्त भी बहुत कुछ कहता है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को उम्मीद से कहीं कम सफलता मिली । ऐसे में संगठनात्मक फेरबदल और मंत्रिमंडल में बदलाव का प्रयोग किया जाए तो बड़ी बात नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, पहले प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को नए सिरे से सजाया जाएगा, और इसके बाद योगी मंत्रिमंडल में नए चेहरों की एंट्री और कुछ पुराने चेहरों की विदाई का भी रास्ता खुल सकता है। संगठन में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर सबसे ज़्यादा चर्चा उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य के नाम की है। पिछली बार 2017 में वे इस पद पर थे और ओबीसी समीकरण साधने में माहिर माने जाते हैं। यदि उन्हें फिर से यह जिम्मेदारी मिलती है, तो योगी के साथ तालमेल और समन्वय की एक नई कहानी शुरू होगी।

मंत्रिमंडल में नए चहरों को मिल सकता है

Brajesh Pathak and Amit Shah
योगी कैबिनेट का गणित Patrika

विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में पंचायत चुनाव होंगे ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी प्रयोग का लिटमस टेस्ट भी हो जाएगा। वर्तमान में योगी सरकार में दो उप मुख्यमंत्री, 22 कैबिनेट मंत्री, 14 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 20 राज्यमंत्री सहित कुल 56 मंत्री हैं। विधानसभा में सदस्य संख्या 403 है। विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसदी मंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। यानी 4 मंत्री और बनाए जा सकते हैं, इन्हीं खाली सीटों पर अब “नए संदेश” की उम्मीद की जा रही है।

दलित-ओबीसी और सवर्ण के संतुलन की रणनीति

Brajesh Pathak and Amit Shah
2024 लोकसभा चुनाव Patrika
लोकसभा चुनाव में ओबीसी वोट बैंक पार्टी से छिटकता नजर आया था, साथ ही सवर्ण और दलित वोट बैंक को भी साधने की कवायद में पार्टी जुटी है। मौजूदा योगी मंत्रिमंडल में सामान्य वर्ग के 22 मंत्री है, ओबीसी के 23, एससी-9 और एसटी से एक मंत्री है।जितिन प्रसाद और अनुसूचित जाति से आने वाले अनूप प्रधान वाल्मीकि के सांसद बनने के बाद खाली हुए मंत्रीपदों को लेकर भी नई जोड़-घटाव की कवायद चल रही है। यानी ब्राह्मण और दलित चेहरे की भरपाई का मौका पार्टी के लिए एक रणनीतिक कार्ड बन गया है।
जैसे-जैसे नेता दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं, वैसे-वैसे लखनऊ में हलचल बढ़ रही है। हर मुलाकात अब केवल चाय-पानी तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह अगले 2 साल की राजनीतिक रणनीति का ‘ब्लूप्रिंट’ बनती जा रही है। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश की राजनीति उस मोड़ पर खड़ी है जहां चेहरों से ज्यादा संतुलन की राजनीति अहम हो चुकी है। और इस संतुलन में योगी आदित्यनाथ, अमित शाह, और संगठन के वरिष्ठ चेहरे किस दिशा में कदम बढ़ाते हैं। यही तय करेगा कि बीजेपी 2027 में फिर से इतिहास रचेगी या खुद को दोहराने में उलझ जाएगी।

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