Sushmita Sen Health Crisis : डॉक्टर बोले करियर खत्म, सुष्मिता ने हार नहीं मानी, जानिए इस गंभीर बीमारी से कैसे बाहर निकली एक्ट्रेस
Sushmita Sen Health Crisis : 2014 में सुष्मिता सेन एक गंभीर स्वास्थ्य संकट से गुज़रीं। उनकी एड्रेनल ग्रंथियां कॉर्टिसोल बनाना बंद कर चुकी थीं, जिससे उन्हें एड्रेनल क्राइसिस हुआ। डॉक्टरों ने पेशा बदलने की सलाह दी, लेकिन सुष्मिता ने हार नहीं मानी।
Sushmita Sen Health Crisis : डॉक्टर बोले करियर खत्म, सुष्मिता ने हार नहीं मानी, जानिए इस गंभीर बीमारी कैसे बाहर निकली एक्ट्रेस (फोटो सोर्स: Sushmita Sen/Instagram)
Sushmita Sen Health Crisis : सुष्मिता सेन ने एक बार 2014 में अपनी ज़िंदगी के सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट के बारे में खुलकर बात की थी। इस मुश्किल दौर से वह कैसे बाहर निकलीं, यह वाकई हैरान करने वाला है। उन्होंने 2019 में बताया था कि डॉक्टरों ने उनसे कह दिया था कि उन्हें अपना पेशा ही बदलना पड़ेगा। लेकिन सुष्मिता ने हार नहीं मानी। उन्होंने ज़िद के साथ कहा, “नहीं, मैं इसे नहीं छोडूंगी। मैं जितना कर सकती हूं उतना करूंगी और जब मेरा मन भर जाएगा, तब ही छोडूंगी।
दरअसल उनके शरीर में कॉर्टिसोल नाम का एक अहम हार्मोन होता है, जिसे उनकी एड्रेनल ग्रंथियों ने बनाना बंद कर दिया था. उन्हें एड्रेनल क्राइसिस हो गया था। डॉक्टरों ने तो यहाँ तक कह दिया था कि वह जीवन भर के लिए स्टेरॉयड पर निर्भर रहेंगी। इसका सीधा मतलब था कि उन्हें ज़िंदा रहने के लिए हर आठ घंटे में हाइड्रोकोर्टिसोन नाम की एक स्टेरॉयड दवा लेनी पड़ती थी।
यह भी पढ़ें : Breast Cancer in Men : क्या आप जानते हैं पुरुषों को भी होता है ब्रेस्ट कैंसर, ये 5 संकेत नजरअंदाज न करें यहीं से सुष्मिता (Sushmita Sen Health Crisis) ने अपनी किस्मत खुद लिखने का फैसला किया. उन्होंने सोचा, “मैं हार कर नहीं जाऊंगी। मैं एक मरीज की तरह नहीं हारूंगी।” डॉक्टरों ने उन्हें कोई भी एंटी-ग्रेविटी मूवमेंट (जैसे उलटा लटकना या हवा में कसरत करना) करने से मना किया था, लेकिन सुष्मिता ने ठीक इसका उल्टा किया।
उन्होंने (Sushmita Sen) बताया, मैंने सबसे पहले अपने ट्रेनर को बुलाया और कहा कि हम जिमनास्टिक्स शुरू करेंगे। हम एंटी-ग्रेविटी करेंगे क्योंकि अगर वे मुझे कह रहे हैं कि यह एक ऐसी चीज है जो मुझे नहीं करनी चाहिए, तो मैं वही करूंगी।उन्होंने आगे कहा, मुझे यह पसंद नहीं था कि मैं ज़िंदा रहने की कोशिश में कैसी होती जा रही थी। यह सभी लोगों के लिए सही सलाह नहीं है, खासकर जिन्हें कुछ खास तरह की बीमारियां हों। लेकिन मेरे शरीर को इसी की जरूरत थी। जब आप अपने शरीर की सुनते हैं तो बात अलग होती है।
Watch Video :सुष्मिता सेन अपने हार्ट अटैक को अपना 2nd Birthday मानती हैं सुष्मिता (Sushmita Sen) ने बताया कि उन्होंने डिटॉक्सिंग भी करवाई और मेडिकली जो कुछ भी संभव था, वह सब किया. लेकिन सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने एरियल सर्किट, एंटी-ग्रेविटी और योग फिर से शुरू किया। इसी दृढ़ संकल्प और हिम्मत से वह इस गंभीर बीमारी से बाहर निकल पाईं।
Sushmita Sen Health Crisis : एक ऐसी बीमारी जिससे शरीर ने खुद ही कर ली लड़ाई
सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) ने एक बार बताया था कि कैसे एक दिन वह अचानक गिर गईं और उन्हें अबू धाबी ले जाया गया। वहां से डिस्चार्ज होने के बाद जब वह दुबई जा रही थीं, तो उनके तुर्की डॉक्टर ने उन्हें फोन करके कहा, अब दवा मत लेना तुम्हारा शरीर अब खुद से हार्मोन बनाने लगा है। डॉक्टर ने बताया कि 35 साल के अपने करियर में उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा था कि किसी को एड्रेनल फेलियर हुआ हो और उसका शरीर फिर से कॉर्टिसोल बनाने लगे। सुष्मिता यह सुनकर दंग रह गईं क्योंकि वह इन्हीं शब्दों को सुनने का इंतज़ार कर रही थीं।
क्या है कॉर्टिसोल हार्मोन और क्यों है इतना जरूरी?
सुष्मिता (Sushmita Sen) की इस कहानी से हमें समझना चाहिए कि कॉर्टिसोल हार्मोन कितना जरूरी है और एड्रेनल फेलियर कितनी गंभीर समस्या हो सकती है।
यह हार्मोन से जुड़ी समस्या एडिसन रोग (Addison’s disease) कहलाती है। यह एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें हमारी एड्रेनल ग्रंथियां खराब हो जाती हैं। ये ग्रंथियां कॉर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन जैसे जरूरी हार्मोन बनाती हैं।
कॉर्टिसोल हमारे शरीर के लिए बहुत अहम है। यह तनाव से निपटने, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने, मेटाबॉलिज्म (भोजन को ऊर्जा में बदलना), सूजन को कम करने और इम्यूनिटी को बनाए रखने में मदद करता है। जब एड्रेनल ग्रंथियां पर्याप्त कॉर्टिसोल नहीं बना पातीं, तो इसे एडिसन क्राइसिस कहते हैं, जो जानलेवा हो सकता है।
जब शरीर में कॉर्टिसोल कम हो जाता है तो शरीर तनाव (शारीरिक या भावनात्मक) से लड़ नहीं पाता। इससे लगातार थकान, कमज़ोरी, वजन कम होना, मांसपेशियों का कमज़ोर होना और लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं होती हैं।
जीवनभर की दवा और डॉक्टर की सलाह: क्यों है यह जरूरी?
इस बीमारी का कारण ऑटोइम्यून रिएक्शन (जब शरीर अपनी ही कोशिकाओं पर हमला करता है), टीबी या एचआईवी/एड्स जैसे संक्रमण, या कुछ दुर्लभ बीमारियाँ हो सकती हैं। एडिसन रोग वाले मरीज़ों को ज़िंदगी भर स्टेरॉयड रिप्लेसमेंट थेरेपी लेनी पड़ती है, जैसे हाइड्रोकोर्टिसोन। यह दवा उनके जीने और रोजमर्रा के काम करने के लिए बहुत जरूरी है और इसे डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए।
प्राकृतिक तरीके बनाम मेडिकल ट्रीटमेंट: किसे चुनें?
हालांकि सामान्य लोगों के लिए स्वस्थ जीवनशैली, जैसे संतुलित आहार, एक्सरसाइज़, अच्छी नींद और योग से तनाव कम करना, कॉर्टिसोल के स्तर को बनाए रखने में मदद कर सकता है। लेकिन, एडिसन रोग वाले मरीज़ों के लिए ये प्राकृतिक तरीके स्टेरॉयड थेरेपी का विकल्प नहीं हो सकते, क्योंकि उनके शरीर में हार्मोन बनता ही नहीं है।
एडिसन रोग एक गंभीर स्थिति है और इसे हमेशा डॉक्टर की देखरेख में ही मैनेज करना चाहिए। यह सोचना खतरनाक है कि तनाव कम करने या प्राकृतिक उपचार से ही इसे ठीक किया जा सकता है। मरीज़ों को डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए ताकि वे एड्रेनल डैमेज का कारण पहचान सकें और सही इलाज करा सकें, खासकर आपातकालीन स्थिति में।
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