मच्छरों और रंगों का रिश्ता
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की रिसर्च में पाया गया कि मच्छर कुछ खास रंगों की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। इनमें लाल, नारंगी, काला और सायन (cyan) रंग शामिल हैं। माना जाता है कि लाल रंग इसलिए मच्छरों को ज्यादा आकर्षित करता है क्योंकि यह मानव त्वचा की परछाईं से मिलता-जुलता है। इसके विपरीत, मच्छर नीला, हरा, सफेद और वायलेट जैसे रंगों को पसंद नहीं करते। यही कारण है कि नीली मच्छरदानी अधिक प्रभावी मानी जाती है।
क्यों कारगर है नीली मच्छरदानी?
मच्छरों को आकर्षित नहीं करती – रिसर्च की मानें तो नीला रंग मच्छरों के ज्यादा पसंद नहीं है, इसलिए यह उन्हें पास आने से रोकता है। नींद के लिए बेहतर माहौल – नीला रंग मन को शांत रखने में मदद करता है और नींद की गुणवत्ता में भी सुधार करता है। गर्मी और रोशनी का संतुलन – हल्के नीले रंग की मच्छरदानी गर्मी को कम अवशोषित करती है और कमरे को ठंडा बनाए रखने में मदद करती है।
मनोवैज्ञानिक सुरक्षा – नीले रंग का प्रभाव सुरक्षा और शांति से जोड़ा जाता है, जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से अधिक सहज महसूस करता है।
ITNs और मच्छर प्रतिरोध
आजकल कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानियां (ITNs) भी उपलब्ध हैं, जिन्हें मलेरिया रोकथाम के सबसे प्रभावी साधनों में गिना जाता है। हालांकि हाल के अध्ययनों में पाया गया है कि मच्छर समय के साथ इन जालों के प्रति व्यवहारिक प्रतिरोध (Behavioral Resistance) विकसित कर सकते हैं, जैसे रात की बजाय दिन में सक्रिय होना या घर के अंदर की बजाय बाहर रहना। फिर भी, नीली ITNs अब भी बीमारियों की रोकथाम में बेहद असरदार हैं।