कुकर को क्षमता से ज्यादा भरना
कुकर की एक तय सीमा होती है, जिसके अंदर ही खाना बनाना सुरक्षित माना जाता है। जब आप इसे ऊपर तक भर देते हैं, खासकर ऐसी चीजों से जो पकने पर फूलती हैं (जैसे दाल, चावल, या साबूदाना), तो अंदर बनने वाली भाप को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिलता। इससे प्रेशर का स्तर तेजी से बढ़ता है और फटने की नौबत आ सकती है।ऐसे में हमेशा कुकर की 2/3 क्षमता तक ही सामग्री भरें। यदि उबालने वाली चीजें बना रहे हों, तो यह और भी जरूरी हो जाता है।
वेंट पाइप की सफाई को नजरअंदाज करना
वेंट पाइप (जहां से सीटी बजती है) कुकर का सबसे जरूरी सेफ्टी फीचर है। यही भाप को बाहर निकालने का रास्ता देता है। लेकिन अगर इसमें दाल के कण या चावल के छोटे टुकड़े फंस जाएं, तो यह ब्लॉक हो सकता है। और जब भाप बाहर नहीं निकल पाती, तो कुकर का ढक्कन या पूरा शरीर ही फट सकता है।इसलिए हर इस्तेमाल से पहले वेंट पाइप में पतली सुई या तार डालकर साफ करें। अगर पाइप बंद है तो इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
सस्ते और नकली कुकर का इस्तेमाल
कम कीमत और डिस्काउंट देखकर जो लोग बिना ISI मार्क वाला कुकर खरीदते हैं, वे अपनी और परिवार की सुरक्षा से समझौता कर रहे होते हैं। बाजार में 200-300 रुपये में मिलने वाले लोकल कुकर दिखने में सही लगते हैं, लेकिन इनका मेटल, सीलिंग और सेफ्टी मैकेनिज्म कमजोर होता है।ISI मार्क और ब्रांडेड कंपनियों के कुकर ही खरीदें। इनमें इस्तेमाल होने वाला मटीरियल और सेफ्टी वॉल्व भरोसेमंद होता है।
कुकर से जुड़ी जरूरी सावधानियां
-कुकर की रबर गैसकेट (रिंग) को समय-समय पर चेक करते रहें। अगर यह ढीली या फटी हो, तो तुरंत बदलें। -सेफ्टी वॉल्व हर एक साल में जरूर बदलवाएं, भले ही वह दिखने में सही हो। -खाना बनाने के बाद कुकर को ठंडा होने दें, फिर ही ढक्कन खोलें। -कुकर को अंदर-बाहर से नियमित रूप से धोएं, ताकि कोई भी कण वेंट या ढक्कन में फंसे न रहें।