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कोरबा

मौसम में बदलाव से मौसमी बीमारी ने दी दस्तक, OPD में रोजाना आ रहे 850 से अधिक मरीज

CG News: कोरबा जिले में तेज धूप, बारिश, उसम भरी गर्मी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है।

कोरबाJun 03, 2025 / 03:10 pm

Shradha Jaiswal

मौसम में बदलाव से मौसमी बीमारी ने दी दस्तक(photo-patrika)

मौसम में बदलाव से मौसमी बीमारी ने दी दस्तक(photo-patrika)

CG News: छातीसगढ़ के कोरबा जिले में तेज धूप, बारिश, उसम भरी गर्मी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। मौसमी बीमारी से लोग परेशान होने लगे हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईपीडी (इन पेशेंट डिपार्टमेंट) में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या 850 से अधिक पहुंच गई है। सोमवार को पंजीयन काउंटर से लेकर अधिकांश डॉक्टरों के कक्ष और दवाई कक्ष के बाहर मरीज व उनके परिजनों की लंबी कतार लगी रही।
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CG News: लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या

इलाज कराने वाले मरीजों में सबसे अधिक सर्दी, खांसी, बुखार, उल्टी, दस्त सहित अन्य मौसमी बीमारी की चपेट में आने वाले मरीज थे। पिछले एक सप्ताह के भीतर लगभग 4600 से अधिक मरीजों ने आईपीडी में इलाज कराया है। गौरतलब कि सामान्य दिनों में ओपीडी की संख्या 7 से 7 के आसपास होती है। लेकिन जब से मौसम में उतार-चढ़ाव शुरू हुआ है, मरीजों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है।
इसके अलावा आपातकालीन यानी अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। अस्पताल में रोजाना 80 से 85 मरीज अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित होने मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोरबा के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। मरीजों की लंबी कतार लग रही है।

प्रदूषण की वजह से सांस से जुड़ी समस्याएं अधिक

जिले में प्रदूषण की समस्या सबसे गंभीर बनी हुई है, खासकर कोयलांचल क्षेत्रों में। शहरी क्षेत्र के निचली बस्तियों में सुबह और शाम खाना पकाने के लिए लोग कोयला सिगड़ी का उपयोग कर रहे हैं। कोयला की उपयोगिता से निकलने वाली धुंआ वातावरण को प्रदूषित कर रही है। वहीं शहरी और उप नगरीय इलाके कोयला लदान, ब्लास्टिंग, कोयला लोड भारी वाहनों के दबाव की वजह से प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है।
इसे लेकर लोग सबसे अधिक परेशान हो रहे हैं। लोग छोटी दमा, दमा सहित अन्य सांस संबंधी बीमारी की समस्या लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही ओपीडी में आने वाले मरीजों में से लगभग 30 फीसदी मरीज छाती रोग से संबंधित समस्या लेकर पहुंचते हैं। लेकिन पर्याप्त संसाधन नहीं होने की वजह से बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

ट्रामा सेंटर के परिसर में 30 से अधिक बेड

इधर मेडिकल कॉलेज के अधीन ट्रामा सेंटर के परिसर में 30 से अधिक बेड लगाए गए हैं। इसमें से लगभग सभी बेड पर मरीजों का इलाज जारी है। इसके अलावा कुपोषित बच्चों को इलाज करने के लिए अस्पताल के प्रथम तल में पोषण पुर्नवास केंद्र बनाया गया है। यहां 10 बेड हैं। इसमें से नौ बेड भर्ती बच्चों को निगरानी रखी जा रही है।
हालांकि ट्रामा सेंटर की कुछ कमियां दूर हो, तो परिसर में लग रही बेड में भर्ती मरीजों को राहत मिलेगी। इसके अलावा ओपरेशन थिएटर की भी सुविधा प्रारंभ होगी और ओटी के वेटिंग सूची में शामिल मरीजाें की संख्या में कमी आएगी। मरीजों को समय पर बेहतर इलाज मिल सकेगा।

ओपीडी और आईपीडी मरीजों पर एक नजर

दिन ओपीडी आईपीडी

25 मई 141

26 मई 860 82

27 मई 719 78

28 मई 879 67

29 मई 69478

30 मई 694 78
31 मई 75793

कोरबा मेडिकल कॉलेज डॉ. गोपाल कंवर ने कहा की सुप्रीटेंडेंटअस्पताल में मरीजों की संख्या 850 से अधिक पहुंच रही है। इसमें मौसमी बीमारी के मरीज भी शामिल हैं, उन्हें जरूरी सलाह और दव्राइयां दी जा रही है।

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