कोतवाली पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की तो, पता चला वे शराबी है और नशे की हालत में थे। मुख्य आरोपी का नाम शमी सिंह ठाकुर है, जो अपने आपको डिप्टी कलेक्टर बता रहा था। वह दुर्ग जिले का रहने वाला है। उसके पास से राजस्व विभाग में काम करने का एक आईडी कार्ड बरामद हुआ है। जिसे देखकर लग रहा है कि सील व साइन फर्जी है। पुलिस ने अपने स्तर में दुर्ग जिला प्रशासन से इस संबंध में जानकारी ली गई, तो उनके द्वारा इस नाम कोई भी कर्मचारी किसी भी पद पर कार्यरत न होने की जानकारी दी गई है।
वहीं दूसरा शुभलाल राजपूत पिता देवी सिंह राजपूत निवासी पटेवा थाना घुमका, जिला राजनांदगांव खुद को ड्राइवर और दुर्गेश सिंह राजपूत पिता लाल सिंह राजपूत निवासी खैरबना कला, थाना कवर्धा फर्जी स्टेनो बता रहा था। इन्होंने जिला कार्यालय में अपने आप को प्रशासनिक अधिकारी बताकर गुमराह किया और अधिकारियों और कर्मचारियों को भ्रमित करने का प्रयास किया। उक्त कृत्य से प्रशासनिक व्यवस्था में अवांछित हस्तक्षेप और जनता को भ्रमित करने की साजिश की पुष्टि हुई है। कलेक्टर कार्यालय की सुरक्षा को लेकर गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा।
सहायक जिला नाजीर ने दर्ज कराई रिपोर्ट
इस घटना की रिपोर्ट सहायक जिला नाजीर अनमोल शुक्ला द्वारा थाना कवर्धा में दर्ज कराई गई। पुलिस द्वारा त्वरित संज्ञान लेकर धारा 319(2) भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत मामला पंजीबद्ध कर सभी तीनों आरोपियों को विधिवत गिरफ्तार किया गया।
कबीरधाम पुलिस आम नागरिकों से अपील करती है कि यदि कोई व्यक्ति शासकीय पदाधिकारी होने का झूठा दावा करता है या संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है तो तत्काल पुलिस को सूचित करें। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि तीनों का किसी भी प्रकार से शासकीय सेवा या पद से कोई संबंध नहीं है।
जांच में हो सकता है और भी खुलासा
इससे पहले भी जब कलेक्टर कार्यालय का बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। तो जिला प्रशासन की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं की गई थी। इतने संवेदनशील व गंभीर मसले पर भी जिला प्रशासन के आलाधिकारियों की ओर से गंभीरता नहीं दिखाई गई थी। इस मामले में भी बड़ी मुश्किल से कोतवाली थाने में जिला प्रशासन की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई। शिकायत के आधार पर पुलिस मामले की जांच पड़ताल के बाद फर्जी
डिप्टी कलेक्टर, उसके स्टेनो व ड्राइवर को गिरतार कर जेल भेजा गया। मामले में शमी ठाकुर ने पुलिस को आईकार्ड भी दिया है, जो प्रथम दृष्टया फर्जी लग रहा है। आरोपी आदतन अपराधिक प्रवृत्ति का हो सकता है। जांच में और भी खुलासा होगा।