scriptVideo: नसों में दौड़ रहा था मौत का जहर, उपचार की बजाय अस्पताल की चौखट पर चली ऑनलाइन झाड़फूंक | Online exorcism for snake bite | Patrika News
कटनी

Video: नसों में दौड़ रहा था मौत का जहर, उपचार की बजाय अस्पताल की चौखट पर चली ऑनलाइन झाड़फूंक

जुगियाकाप से सर्पदंश का शिकार युवक पहुंचा था जिला अस्पताल, झाडफ़ूंक में गंवाते रहे कीमती समय

कटनीJul 22, 2025 / 09:48 pm

balmeek pandey

Online exorcism for snake bite

Online exorcism for snake bite

कटनी. जिले में एक बार फिर अंधविश्वास के चलते एक सर्पदंश पीडि़त को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाया। लोग इलाज कराने की बजाय अस्पताल के मुख्य गेट पर तंत्र-मंत्र व झाडफ़ूंक में पड़ रह गए। जुगिया कांप निवासी अजगर खान (43) थाना एनकेजे खेत में काम कर रहा था, तभी उसे सांप ने काट लिया। परिजन तत्काल उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन यहां अस्पताल के दरवाजे पर इलाज की बजाय झाडफ़ूंक का खेल शुरू हो गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अजगर खान के परिजनों ने अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टर को दिखाने की बजाय मोबाइल फोन के जरिए एक तांत्रिक से संपर्क किया और उसके कहे अनुसार झाडफ़ूंक शुरू कर दी। मोबाइल फोन को कभी पीडि़त के कान में मंत्र फूंककर तो कभी हाथ में घुमाकर तंत्र-मंत्र की क्रिया कराई जा रही थी। यह पूरा तमाशा जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर करीब एक घंटे तक चलता रहा, लेकिन किसी ने भी उन्हें तत्काल इलाज की सलाह देने या रोकने का प्रयास नहीं किया।
बेटे की मेडिकल में जन स्वास्थ्य रक्षक पिता बन बैठा था डॉक्टर, बिना अनुमति मरीजों का एलोपैथी इलाज

तबीयत बिगडऩे पर अस्पताल में भर्ती

जब अजगर खान की तबीयत और बिगडऩे लगी, तब आसपास मौजूद लोगों ने परिजनों को समझाया और उसे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की टीम ने बिना समय गंवाए इलाज शुरू किया, जिसके बाद उसकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आना शुरू हुआ। घटना के संबंध में पीडि़त के साथी शहीद खान ने बताया कि हम खेत में थे तभी कुछ काटा और सांप जाते हुए दिखा। हमने तत्काल हाथ में कपड़ा बांधा और अस्पताल लेकर आए। झाडफ़ूंक को लेकर शहीद का कहना था कि हर उपाय करना चाहिए, पता नहीं किससे आराम मिल जाए।

डॉक्टर की चेतावनी: झाडफ़ूंक न करें, समय पर इलाज कराएं

ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर सौरभ नामदेव ने बताया कि अजगर खान की हालत गंभीर थी, लेकिन समय रहते सही इलाज शुरू हो गया, इसलिए अब उनकी हालत स्थिर है। उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं, और कई बार लोग झाडफ़ूंक के फेर में फंसकर अपनी जान गंवा देते हैं। डॉक्टर ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि अगर किसी को सर्पदंश हो जाए तो तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाएं और किसी भी स्थिति में झाडफ़ूंक जैसे अंधविश्वास में समय न गंवाएं, क्योंकि सांप का जहर मिनटों में शरीर में फैल जाता है, और देरी जानलेवा साबित हो सकती है।

अंधविश्वास बन रहा मौत का कारण

सिविल सर्जन डॉ. यशवंत वर्मा ने कहा कि सर्पदंश जैसी आपातकालीन स्थिति में तांत्रिक उपाय करना व्यक्ति की जान को खतरे में डाल सकता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्नैक बाइट के इलाज के लिए स्नैक एंटीवेनम उपलब्ध है, जो समय रहते दिया जाए तो जान बचाई जा सकती है। जिले में ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जहां झाडफ़ूंक में कीमती समय बर्बाद हुआ और मरीज की जान चली गई। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश से बचाव व प्राथमिक उपचार पर विशेष जागरूकता अभियान चला रहा है।
snake

भयावह है मौतों का रिकॉर्ड

कटनी जिले में सर्पदंश की घटनाओं का आंकड़ा भयावह है। पिछले नौ वर्षों में सांपों के कहर से 477 लोगों की मौत हुई है। जिले में लगातार बढ़ रही सर्पदंश की घटनाओं के बाद उनसे होने वाली मौतों की एक वजह जागरूकता का आभाव भी बताई जा रही है।
झंकझोर कर रख देते हैं महिला घरेलू ङ्क्षहसा के मामले, बेटियों के साथ रुकनी चाहिए बेरहमी

गंभीर है प्रशासन, हो रही डेथ ऑडिट

जिले में सांप काटने से प्रतिवर्ष हो रही 50 से अधिक मौतों को रोकने के लिए प्रशासन अब अलर्ट हो गया है। सर्पदंश से मौत की घटनाओं का अब डेथ ऑडिट कराया जा रहा है। चार विभाग के अधिकारी मौत के कारणों की पड़ताल कर रहे हैं। इसके पीछे मंशा यह है कि लगातार हो रही मौतों को रोका जाए। कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने सर्पदंश से होने वाली मौतों की जांच के लिए जांच टीम गठित की है। पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्ष संयुक्त कलेक्टर संस्कृति मुदित लटौरिया को बनाया गया है। इसके बाद भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।

2018 में पत्रिका ने उजागर किया था यह तंत्रमंत्र

जिला अस्पताल में पूर्व में भी सर्पदंश के मामलों में झाडफ़ूंक कराए जाने का मामला सामने आ चुका है। ३ जुलाई २०१८ को एनकेजे थाना क्षेत्र के ग्राम सिंघनपुरी निवासी बलीराम कोल (४५) को सर्प ने काट लिया था। इसी दिन रात को मौत हो गई थी। परिजन उपचार की बजाय पहले उसे एक तांत्रिक के यहां ले गए, सुबह ६ बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया था, इलाज दौरान सुबह १० बजे मौत हो गई थी। मौत के बाद भी तांत्रिक ने भ्रमित करना नहीं छोड़ा था। उसने मृतक को जिंदा करने का दावा कर दिया था। कई घंटे तक शव को बगैर पोस्टमार्टम के रखा गया था और हर दो घंटे में उसके जीविंत होने का इंतजार किया जाता रहा, जब देरशाम तक जिंदा नहीं हुआ तो फिर पीएम कराया गया था।

Hindi News / Katni / Video: नसों में दौड़ रहा था मौत का जहर, उपचार की बजाय अस्पताल की चौखट पर चली ऑनलाइन झाड़फूंक

ट्रेंडिंग वीडियो