प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अजगर खान के परिजनों ने अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टर को दिखाने की बजाय मोबाइल फोन के जरिए एक तांत्रिक से संपर्क किया और उसके कहे अनुसार झाडफ़ूंक शुरू कर दी। मोबाइल फोन को कभी पीडि़त के कान में मंत्र फूंककर तो कभी हाथ में घुमाकर तंत्र-मंत्र की क्रिया कराई जा रही थी। यह पूरा तमाशा जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर करीब एक घंटे तक चलता रहा, लेकिन किसी ने भी उन्हें तत्काल इलाज की सलाह देने या रोकने का प्रयास नहीं किया।
तबीयत बिगडऩे पर अस्पताल में भर्ती
जब अजगर खान की तबीयत और बिगडऩे लगी, तब आसपास मौजूद लोगों ने परिजनों को समझाया और उसे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की टीम ने बिना समय गंवाए इलाज शुरू किया, जिसके बाद उसकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आना शुरू हुआ। घटना के संबंध में पीडि़त के साथी शहीद खान ने बताया कि हम खेत में थे तभी कुछ काटा और सांप जाते हुए दिखा। हमने तत्काल हाथ में कपड़ा बांधा और अस्पताल लेकर आए। झाडफ़ूंक को लेकर शहीद का कहना था कि हर उपाय करना चाहिए, पता नहीं किससे आराम मिल जाए।डॉक्टर की चेतावनी: झाडफ़ूंक न करें, समय पर इलाज कराएं
ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर सौरभ नामदेव ने बताया कि अजगर खान की हालत गंभीर थी, लेकिन समय रहते सही इलाज शुरू हो गया, इसलिए अब उनकी हालत स्थिर है। उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं, और कई बार लोग झाडफ़ूंक के फेर में फंसकर अपनी जान गंवा देते हैं। डॉक्टर ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि अगर किसी को सर्पदंश हो जाए तो तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाएं और किसी भी स्थिति में झाडफ़ूंक जैसे अंधविश्वास में समय न गंवाएं, क्योंकि सांप का जहर मिनटों में शरीर में फैल जाता है, और देरी जानलेवा साबित हो सकती है।अंधविश्वास बन रहा मौत का कारण
सिविल सर्जन डॉ. यशवंत वर्मा ने कहा कि सर्पदंश जैसी आपातकालीन स्थिति में तांत्रिक उपाय करना व्यक्ति की जान को खतरे में डाल सकता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्नैक बाइट के इलाज के लिए स्नैक एंटीवेनम उपलब्ध है, जो समय रहते दिया जाए तो जान बचाई जा सकती है। जिले में ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जहां झाडफ़ूंक में कीमती समय बर्बाद हुआ और मरीज की जान चली गई। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश से बचाव व प्राथमिक उपचार पर विशेष जागरूकता अभियान चला रहा है।