थाईलैंड ने किया F16 का इस्तेमाल
थाईलैंड जैसी एयरफोर्स और सैन्य क्षमताएं से वंचित कंबोडिया ने एफ-16 के इस्तेमाल पर तीखी आपत्ति जताई है। विवाद बढ़ने के बाद दोनों तरफ 40 हजार से ज्यादा लोग सीमावर्ती इलाकों से हटाए गए हैं। कंबोडियाई प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से थाईलैंड की आक्रामकता को रोकने के लिए तत्काल बैठक बुलाने का आह्वान किया है तो दूसरी और थाईलैंड के कार्यवाहक पीएम ने कहा है कि उन्होंने अब तक कंबोडिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा नहीं की है।
शिव मंदिर की जमीन की कब्जे की लड़ाई
विवाद का कारण दोनों देशों की सीमा पर स्थित शिव मंदिर और उसके आसपास स्थित जमीन के कब्जे लेकर बना हुए ऐतिहासिक विवाद है। इसको लेकर गुरुवार को दोनों देशों के सैनिकों ने सीमा पर भीषण गोलीबारी की है। इससे ठीक एक दिन पहले बॉर्डर पर एक लैंडमाइन धमाके में पांच थाई सैनिक घायल हो गए थे। थाईलैंड ने कंबोडिया पर नई लैंडमाइन बिछाने का आरोप लगाते हुए कंबोडिया से अपने राजदूत को बुला लिया था और कंबोडिया के राजदूत को देश से निष्कासित कर दिया। फिर अगले ही सुबह थाईलैंड ने आरोप लगाया कि कंबोडिया ने विवादित मंदिर इलाके में ड्रोन के जरिए जासूसी की। जिसके बाद से दोनों देशों की तरफ से एक-दूसरे पर गोलीबारी शुरू हो गई है।
विवाद के केंद्र में हिंदू मंदिर
दोनों देशों के बीच विवाद 11वीं शताब्दी के हिंदू मंदिर को लेकर है, जिसे प्रीह विहियर या थाईलैंड में खाओ फ्रा विहारन कहा जाता है। करीब 3-4 वर्ग किमी के इस विवादित क्षेत्रों में ता मोआन थॉम और ता मुएन थॉम नाम के दो अन्य प्रमुख मंदिर भी आते हैं। कंबोडिया को आजाद करने के दौरान फ्रांसीसी ताकतों ने इन्हें कंबोडिया को सौंप दिया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भी 1962 में इस क्षेत्र को कंबोडिया को सौंप दिया, लेकिन थाईलैंड ने कभी इन मंदिरों के आसपास के इलाकों पर दावा नहीं छोड़ा। मंदिर परिसर की सीमा से निकटता तथा फ्रांसीसी औपनिवेशिक मानचित्रों में सीमा का अधूरा सीमांकन, दोनों पड़ोसियों के बीच बार-बार होने वाले संघर्षों को बढ़ावा देता रहा है। प्रारंभ में ये मंदिर शैव हिन्दू थे, बाद में खमेर शासकों द्वारा बौद्ध धर्म अपना लेने के कारण इनका उपयोग बौद्ध धर्म के मठ के रूप में होने लगा। यहां मौजूद शिवलिंग और संस्कृत के शिलालेख इस स्थल के मंदिर होने की गवाही आज भी देते हैं।
इसी मुद्दे पर हाल में थाई पीएम का हुआ था इस्तीफा
जुलाई के मौजूदा टकराव से पहले दोनों पक्षों में इसी वर्ष मई के महीने में भी टकराव हुआ था। थाई सैनिकों का आरोप है कंबोडियाई सैनिकों ने मंदिर परिसर में घुसकर राष्ट्रवादी गीत गाते हुए थाई सैनिकों को चुनौती दी। इसके बाद हुई झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद दोनों पक्षों ने आर्थिक और कूटनीतिक पाबंदियों के कदम उठाए, जिससे संबंध और बिगड़ गए हैं। इसके बाद हुए घरेलू राजनीतिक उथल-पुथल ने इस संकट को और जटिल बना दिया है। थाई प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को पिछले दिनों इसी मुद्दे पर हुए विवाद के बाद उनके पद से निलंबित कर दिया गया था। शिनावात्रा एक वरिष्ठ कंबोडियाई राजनेता के साथ बात कर रही थीं। वो फोन कॉल लीक हो गई थी और शिनावात्रा पर थाई संप्रभुता को कमज़ोर करने के आरोप लगे थे। इस कॉल में, वे कंबोडियाई नेता हुन सेन को अंकल कहते हुए और अपने देश की सेना की आलोचना करते नजर आ रही थीं। इस तरह इस इलाके पर कब्जे का मुद्दा अब दोनों देशों में राष्ट्रीयता के साथ-साथ नाक का सवाल बन चुका है।
2008 में भी एक सप्ताह तक चली गोलीबारी में हुई थीं 12 मौतें
इसके पहले भी दोनों देशों में कई बार इस इलाके पर कब्जे को लेकर सैन्य संघर्ष हो चुका है। 2008 में तनाव तब काफी बढ़ गया जब कंबोडिया ने प्रीह विहियर मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध करने का प्रयास किया। इसके परिणामस्वरूप कई वर्षों तक झड़पें हुईं और कम से कम एक दर्जन मौतें हुईं, जिनमें 2011 में एक सप्ताह तक चली तोपों की गोलीबारी भी शामिल है।
भारत के हैं थाईलैंड और कंबोडिया दोनों से गहरे संबंध
भारत और थाईलैंड बिम्सटेक समूह का हिस्सा हैं और दोनों के बीच भारत की व्यापक एक्ट ईस्ट नीति के तहत घनिष्ठ राजनयिक संबंध बनाए हैं। रणनीतिक रूप से, भारत और थाईलैंड नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं, जैसे मैत्री (सेना) और स्याम भारत (वायुसेना), जो बढ़ते रक्षा सहयोग को दर्शाता है। दोनों देश हिंद-प्रशांत समुद्री वार्ता और अंडमान सागर में समुद्री डकैती-रोधी गश्त में भाग लेते हैं। दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 18 अरब डॉलर का है। वहीं भारत ने कंबोडिया को बुनियादी ढांचे, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा और जल संसाधन सहित कई विकास परियोजनाओं के लिए ऋण और अनुदान सहायता प्रदान की है। इसने अंगकोर वाट और ता प्रोहम मंदिरों के जीर्णोद्धार में भी सहायता की है, जिससे कंबोडिया में उसकी सॉफ्ट पावर की साख और मजबूत हुई है। दोनों के बीच करीब 450 मिलियन डॉलर का कारोबार है।