CG News: भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है…
महिला प्रहरियों की मानें, तो सहायक जेल अधीक्षक रेणु ध्रुव और उनके पति बालकृष्ण चिन्ना बंदियों व
स्टाफ का मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं। इसका विरोध करने पर धमकी और अमानवीय व्यवहार करते हैं। प्रहरियों ने बताया कि सहायक जेल अधीक्षक ने 27 जून से उनके लिए निर्धारित महिला गेट बंद करवा दिया गया है। अब उन्हें पुरुष बंदियों के शौचालय और स्नानागार के करीब से गुजरते ड्यूटी पर आना-जाना पड़ रहा है। इससे उन्हें भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
आरोप है कि ड्यूटी के दौरान रेणु बार-बार वार्ड में आकर कहती हैं कि सोते रहते हो। गप्पे मारते हो। तुहारा ट्रांसफर करवा दूंगी। मेरे पेन चलने से तुहें वेतन मिलता है। चरित्रावली खराब कर दूंगी। नोटिस दे दूंगी। इन बातों से कर्मचारी अब तनाव में हैं। वहीं, जेल के महिला खंड में महिला कर्मियों के लिए न तो शौचालय है, न बाथरूम। बारिश और खराब मौसम में भी महिला कर्मी ड्यूटी करती हैं, लेकिन सोने की कोई व्यवस्था नहीं है। सांप, कीड़े और जहरीले जीव खुलेआम घूमते हैं। इसके बावजूद अफसर उन्हें ताना मारती है।
महिला स्टाफ का कहना है कि ड्यूटी के दौरान 4-4 घंटे की शिट में उन्हें अपने लिए नाश्ता, पानी, दवाई, पेन, सैनिटरी पैड आदि लाने की जरूरत होती है। फिर भी कैरी बैग लाने से मना कर दिया है। इस पर अधिकारी का उनसे कहना है कि चंद घंटों की ड्यूटी में भी खाना-पीना जरूरी है क्या? ऐसे में कर्मचारियों ने पूरे मामले में निष्पक्ष जांच के साथ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, ताकि आगे वे शांति से ड्यूटी कर सकें।
महिला बैरक की जगह घर की सफाई कर रहीं
CG News: आरोप के मुताबिक, जेल में तैनात महिला सफाई कर्मचारियों को महिला खंड की सफाई करने के बजाय सहायक जेल अधीक्षक के घर पर बर्तन, कपड़े धोने, झाड़ू-पोंछा और बच्चों की देखरेख के लिए मजबूर किया गया है। ये कर्मचारी सुबह से रात 8 बजे तक सिर्फ निजी कामों में लगाए जा रहे हैं। उन्हें जब जरूरत हो, तब छुट्टी नहीं मिलती। अफसर द्वारा बार-बार टालमटोल किया जाता है। अपशब्द तक कहने की बात कही गई है। इस शिकायत में यह भी बताया गया है कि खुद सहायक जेल अधीक्षक फरवरी में कई दिनों तक ड्यूटी से नदारद रहीं। रेणु ध्रुव के पति बालकृष्ण चिन्ना जेल अधीक्षक नहीं हैं, फिर भी वे
जेल परिसर में मौजूद रहते हैं। महिला कर्मचारियों ने उन पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि वे आते-जाते उनसे मोबाइल नंबर मांगते हैं। कहते हैं कि अच्छी ड्यूटी दिलवाउंगा। आदेश निकलवाऊंगा। जो कर्मचारी उनसे बात करते हैं, उन्हें पैसे वसूली, लकड़ी सप्लाई और जेल की खाद्य सामग्री बेचने जैसे कामों में लगाया जाता है।
जेल की मुलाकात ड्यूटी भी वे ही तय करते हैं। कई महिला कर्मियों के 4-6 साल के बच्चे हैं। उन्हें ड्यूटी में साथ लाने की मजबूरी है क्योंकि घर में देखभाल के लिए कोई नहीं। इस पर अफसर कहती हैं कि बच्चों को जेल क्यों लाती हो? सबको बंद करवा दूंगी। बच्चों के लिए खाना या नाश्ता लाने पर भी डांट पड़ती है।
रेणु ध्रुव, सहायक जेल अधीक्षक, जिला जेल, कांकेर: जेल के अपने नियम हैं। कुछ महिला प्रहरी इसे तोड़ते हुए जेल में आपत्तिजनक सामान ला रहीं थीं। उन्हीं को बैग लाने से मना किया है। इस बारे में उच्चाधिकारियों को भी जानकारी दे दी है। बाकी सारे आरोप मिथ्या हैं।