मां की अर्थी को कंधा देतीं बेटियां। (फोटो- पत्रिका)
समाज में बेटों को अक्सर अंतिम संस्कार की परंपरा से जोड़ा जाता है, लेकिन बदलते दौर में बेटियां भी अपने कंधों पर जिम्मेदारियों का भार बखूबी निभा रही हैं। ऐसा ही एक उदाहरण राजस्थान के जोधपुर के तिंवरी में देखने को मिला, जब शोभा देवी और भीखी देवी ने अपनी मां नेनू देवी को अंतिम विदाई देते हुए समाज के सामने एक नई मिसाल पेश की।
खीचन निवासी हाल तिंवरी निवासी नेनू देवी का निधन हो गया। ऐसे में अंतिम यात्रा में जहां परिवार और परिचितों की आंखें नम थीं, वहीं सभी की निगाहें उनकी बेटियों पर टिक गई, जब उन्होंने सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए अपने हाथों से मां को कांधा देते हुए मुखाग्नि दी और समूची रस्में पूरी कीं। इस भावुक क्षण में बेटियों ने न सिर्फ अपने कर्तव्य का निर्वहन किया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि बेटियां किसी भी जिम्मेदारी में पीछे नहीं हैं।
यह वीडियो भी देखें तिंवरी की इस तस्वीर ने यह साबित कर दिया कि ममता, सेवा और संस्कार की डोर बेटियों को भी उतनी ही मजबूती से बांधती है, जितनी बेटों को। परिवार के सदस्यों और समाज के लोगों ने भी बेटियों के इस साहसी निर्णय की सराहना की। यह क्षण न केवल शोकपूर्ण था, बल्कि प्रेरणादायक भी, जिसने परंपराओं के बीच बदलाव की नई राह दिखलाई।