बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के कब्जा किया
न्यायाधीश संदीप शाह की एकल पीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता गौतम गहलोत की ओर से अधिवक्ता मनोज बोहरा ने तर्क दिया कि याची की महामंदिर में स्थित कुल 1290 वर्गगज ज़मीन में से 550 वर्गगज और बाद में 440 वर्गगज ज़मीन का विधिवत अधिग्रहण हुआ, लेकिन शेष 300 वर्गगज ज़मीन पर पुलिस विभाग ने वर्ष 1996 में बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के कब्जा कर लिया और आज तक वह भूमि महामंदिर थाना परिसर में शामिल है।
पहले पत्र लिखे फिर कोर्ट की शरण
याचिकाकर्ता ने इस अवैध कब्जे के खिलाफ लगातार प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखे, न्यायालयों की शरण ली। इसके बावजूद पुलिस और गृह विभाग के अधिकारी न तो अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर पाए और न ही कोई मुआवज़ा दिया।
बताना होगा किस समयावधि में भूमि की कीमत अदा करेंगे
मामले को 7 जुलाई सूचीबद्ध करने के निर्देश के साथ कोर्ट ने प्रतिवादियों को यह भी स्पष्ट रूप से बताने को कहा है कि वे किस समयावधि में याचिकाकर्ता को उसकी भूमि का वर्तमान बाजार मूल्य अदा करेंगे अथवा किस समयावधि में अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ व पूर्ण करेंगे। प्रतिवादियों को यह भी बताना होगा कि क्या भूमि का कब्जा तत्काल याचिकाकर्ता को लौटाने के लिए तैयार हैं। साथ ही पिछले तीन दशक से भूमि के अवैध उपयोग के लिए उचित मुआवज़ा देने को भी तैयार हैं या नहीं। इस संबंध में जिला कलक्टर, जोधपुर तथा पुलिस आयुक्त, जोधपुर अलग-अलग शपथ पत्र दाखिल करने को कहा गया है।