दो साल पहले 60 हजार रुपए क्विंटल बिका था
बीते दो वर्षों में जीरा कभी 60 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिका था, जिससे प्रोत्साहित होकर किसानों ने पिछले साल के साथ इस वर्ष भी बड़े पैमाने पर बुवाई की, लेकिन इस बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग घटने और विदेशों में जीरे की अच्छी पैदावार के कारण निर्यात में कमी आई है।अच्छे भाव की प्रतीक्षा में
बिलाड़ा मंडी में अब केवल वही किसान जीरा बेचने आ रहे हैं, जिन्हें पैसों की तत्काल आवश्यकता है। व्यापारी रामचंद्र कुमावत ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से जीरे के दामों में लगातार गिरावट हो रही है, जिससे बाजार में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस वर्ष भी जीरे का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है, लेकिन यदि निर्यात में सुधार नहीं हुआ तो दामों में और भी गिरावट संभव है।उपभोक्ताओं को मिल रहा फायदा
पिछले साल जीरे की महंगाई से परेशान उपभोक्ताओं को इस साल राहत मिल रही है। जीरे का उत्पादन बढ़ने से इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही है। इस महीने जीरे के भाव आधे से ज्यादा गिर चुके हैं। आगे भी इसकी कीमतों में सुस्ती रह सकती है।इनका कहना है
जीरा के भावों में लगातार मंदी का दौर जारी रहने से जीरे में भाव में भारी गिरावट आई है। उंझा मंडी में भी जीरे के भाव में गिरावट के साथ निर्यात नहीं होना भी एक कारण है। किसान भाव बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं।महावीर चन्द्र भण्डारी, अध्यक्ष कृषि उपज मंडी बिलाड़ा
व्यापारियों का कहना
इस साल जीरे के उत्पादन में काफी वृद्धि होने का अनुमान है। कारोबारी अनुमान के मुताबिक इस साल देश में 90 से 95 लाख बोरी जीरे का उत्पादन हो सकता है। पिछले साल 55 से 60 लाख बोरी (55 किलो)उत्पादन हुआ था। इस तरह इस साल जीरे के उत्पादन में 60 फीसदी से ज्यादा इजाफा हुआ है।चेतन पटेल, पूर्व सचिव कृषि उपज मंडी व्यापार संघ बिलाड़ा
महेंद्र सिंह, पूर्व अध्यक्ष, कृषि उपज मंडी व्यापार संघ, बिलाड़ा
बाबूलाल राठौड़, प्रगतिशील किसान बिलाड़ा