scriptJaisalmer: देवर ने पानी भरने से मना किया तो भाभी ने बनाया अलग तालाब, जानें, पालीवाल समुदाय की महिलाएं बनी प्रेरक और निर्माता | When brother-in-law refused to fill water, sister-in-law made a separate pond, know, women of Paliwal community became motivators and creators | Patrika News
जैसलमेर

Jaisalmer: देवर ने पानी भरने से मना किया तो भाभी ने बनाया अलग तालाब, जानें, पालीवाल समुदाय की महिलाएं बनी प्रेरक और निर्माता

जैसलमेर के पालीवाल समुदाय की जल-संस्कृति में महिलाएं सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि प्रेरक और निर्माता भी रही हैं। यहां के तालाबों, बावड़ियों और नाड़ियों की कहानियां आत्मसम्मान, रिश्तों की गरिमा और महिलाओं की दृढ़ इच्छाशक्ति के प्रतीक भी हैं।

जैसलमेरJun 09, 2025 / 11:26 am

anand yadav

जैसलमेर में महिलाओं ने बनाए जीवनदायी जलस्रोत, पत्रिका फोटो

दीपक व्यास

Rajasthan: जैसलमेर के पालीवाल समुदाय की जल-संस्कृति में महिलाएं सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि प्रेरक और निर्माता भी रही हैं। यहां के तालाबों, बावड़ियों और नाड़ियों की कहानियां आत्मसम्मान, रिश्तों की गरिमा और महिलाओं की दृढ़ इच्छाशक्ति के प्रतीक भी हैं। जैसलमेर के 84 गांवों में 700 से 1200 छोटे-बड़े तालाबों का अस्तित्व रहा। कई की नींव किसी स्त्री की जिद, ताने या टोकने से पड़ी थी। यही कारण है कि यहां तालाब और नाड़ियां अधिक दिखाई देती हैं।

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जसेरी तालाब का ये इतिहास

महिलाओं के नाम पर बने जलस्रोतों में जाजीया गांव का जसेरी तालाब श्रेष्ठ उदाहरण है। कहा जाता है कि डेढ़ा गांव के जसराज पालीवाल की बेटी की शादी जाजीया गांव में हुई थी। एक दिन वह अपने ससुराल में पानी भरने गई, तब उसके देवर की बारी थी। उसने पहले पानी भरने की बात कही तो देवर ने मना कर दिया। बेटी खाली घड़ा लिए पीहर लौट आई। पिता जसराज ने जाजीया में विशाल तालाब खुदवाया, जो अब जसेरी के नाम से प्रसिद्ध है। तालाब की एक और विशेषता यह है कि इसमें आज तक कोई डूबा नहीं।
जसेरी तालाब, जैसलमेर, पत्रिका फोटो

यहां ऐसी और भी हैं मिसाल

ऐसी ही एक मिसाल है लवां गांव की जानकी नाड़ी। शुरुआत एक महिला जावणकी ने की थी। उसने गड्ढे में पानी रुकते देखा और तालाब बनाने का विचार आया। स्वयं ही खुदाई शुरू की और फिर ग्रामीणों की मदद से एक बड़ा तालाब बन गया।
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महिलाओं ने बनाए जीवनदायी जलस्रोत

सनातन परम्परा में धार्मिक व परोपकारी कार्यों में महिलाओं की विशेष भूमिका रही है। जैसलमेर क्षेत्र में सैकड़ों तालाब, कुएं व बावड़ियों का निर्माण करवाया गया। पालीवालों के 84 गांवों में 800 से अधिक तालाब महिलाओं की पहल पर बने हैं।
ऋषिदत्त पालीवाल, इतिहास वेत्ता, जैसलमेर

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