जसेरी तालाब का ये इतिहास
महिलाओं के नाम पर बने जलस्रोतों में जाजीया गांव का जसेरी तालाब श्रेष्ठ उदाहरण है। कहा जाता है कि डेढ़ा गांव के जसराज पालीवाल की बेटी की शादी जाजीया गांव में हुई थी। एक दिन वह अपने ससुराल में पानी भरने गई, तब उसके देवर की बारी थी। उसने पहले पानी भरने की बात कही तो देवर ने मना कर दिया। बेटी खाली घड़ा लिए पीहर लौट आई। पिता जसराज ने जाजीया में विशाल तालाब खुदवाया, जो अब जसेरी के नाम से प्रसिद्ध है। तालाब की एक और विशेषता यह है कि इसमें आज तक कोई डूबा नहीं।
यहां ऐसी और भी हैं मिसाल
ऐसी ही एक मिसाल है लवां गांव की जानकी नाड़ी। शुरुआत एक महिला जावणकी ने की थी। उसने गड्ढे में पानी रुकते देखा और तालाब बनाने का विचार आया। स्वयं ही खुदाई शुरू की और फिर ग्रामीणों की मदद से एक बड़ा तालाब बन गया।भ्रष्टाचार मामलों में कार्मिकों से पूछताछ की अनुमति, जानें क्यों आइएएस-आरएएस पर मेहरबानी!
महिलाओं ने बनाए जीवनदायी जलस्रोत
सनातन परम्परा में धार्मिक व परोपकारी कार्यों में महिलाओं की विशेष भूमिका रही है। जैसलमेर क्षेत्र में सैकड़ों तालाब, कुएं व बावड़ियों का निर्माण करवाया गया। पालीवालों के 84 गांवों में 800 से अधिक तालाब महिलाओं की पहल पर बने हैं।ऋषिदत्त पालीवाल, इतिहास वेत्ता, जैसलमेर