लोक सभा अध्यक्ष ने IIT जोधपुर में लेक्चर हॉल का किया उद्घाटन, इन विषयों पर दिया जोर
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि IIT जैसे भारत के तकनीकी संस्थान देश के डिजिटल इकोसिस्टम और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सशक्त बना रहे हैं। आईआईटी से निकले युवाओं ने न केवल देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
सभा को संबोधित करते लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला (फोटो-पत्रिका)
जोधपुर। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को IIT जोधपुर में लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स-II का उद्घाटन किया। उन्होंने इस उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि भारत अपने युवाओं की अद्वितीय क्षमता के चलते वैश्विक नेतृत्व की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। भारत का युवा अब रोजगार ढूंढने वाला नहीं बल्कि रोजगार देने वाला बन चुका है, जो स्टार्टअप और नवाचार के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है।
लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत आधुनिक विज्ञान और अपनी समृद्ध आध्यात्मिक परंपरा की शक्तियों को समाहित करते हुए वैश्विक मंच पर एक संतुलित, नैतिक और चिरस्थायी विकास मॉडल प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने युवाओं विशेषकर विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे ‘विकसित भारत’ की यात्रा में सक्रिय भागीदार बनें और तकनीक एवं ज्ञान का उपयोग समाजोत्थान के लिए करें।
आत्मनिर्भर भारत को सशक्त कर रहे छात्र
ओम बिरला ने कहा कि IIT जैसे भारत के तकनीकी संस्थान देश के डिजिटल इकोसिस्टम और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सशक्त बना रहे हैं। आईआईटी से निकले युवाओं ने न केवल देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
ओम बिरला ने IIT जोधपुर की तारीफ की
इस अवसर पर ओम बिरला ने IIT जोधपुर की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्थान मरुस्थलीय क्षेत्र में परिवर्तन का वाहक बना है जो युवाओं को वैश्विक गुणवत्ता की शिक्षा, शोध और नवाचार की सुविधा देकर उन्हें सशक्त बना रहा है। उन्होंने ‘रिसर्च इनिशिएटिव ग्रांट’ का वितरण भी किया जिससे नवाचार संबंधी परियोजनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने संस्थान की नई वेबसाइट का शुभारंभ किया और परिसर में पौधारोपण भी किया।
उद्यमशीलता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर जोर
ओम बिरला ने देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को पारंपरिक शिक्षा से आगे बढ़कर नवाचार और उत्कृष्टता के केंद्र बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों में ऐसी सोच विकसित करनी चाहिए जिससे वे न केवल ज्ञान में अग्रणी बनें बल्कि उनमें समस्या सुलझाने की योग्यता, उद्यमशीलता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा विकसित हो।