इस बैठक पर बीएपी और कांग्रेस के नेताओं की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह जयकृष्ण पटेल के भविष्य और सदाचार कमेटी की निष्पक्षता पर सवाल उठा रही है।
जयकृष्ण पटेल मामले पर विशेष मंथन
सदाचार कमेटी के अध्यक्ष कैलाश वर्मा ने बताया कि बैठक में बागीदौरा से बीएपी विधायक जयकृष्ण पटेल के मामले पर विशेष चर्चा होगी। पटेल को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था और वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। विधानसभा स्पीकर ने इस मामले के निपटारे के लिए कमेटी को तीन महीने का समय दिया है। कैलाश वर्मा ने कहा कि बैठक में एसीबी की रिपोर्ट पेश की जाएगी, जिसमें पटेल के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा होगा। इसके अलावा, विधानसभा में दर्ज एक दर्जन से अधिक लंबित याचिकाओं और अनुशासनहीनता से जुड़े मामलों पर भी विचार-विमर्श होगा।
ACB की कार्रवाई और BAP का जवाब
जयकृष्ण पटेल को राजस्थान के इतिहास में संभवतः पहले विधायक के रूप में एसीबी ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था। बीएपी ने इसे द्वेषपूर्ण कार्रवाई करार देते हुए अपनी जांच कमेटी गठित की थी। पार्टी का दावा है कि पटेल के खिलाफ कार्रवाई में राजनीतिक साजिश की बू आती है। इस मामले ने न केवल बीएपी, बल्कि पूरे राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
कमेटी में बदलाव से उपजा विवाद
गौरतल है कि सदाचार कमेटी हाल ही में तब विवादों में आई, जब कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक नरेंद्र बुढ़ानिया को अध्यक्ष पद से हटाकर कैलाश वर्मा को नियुक्त किया गया। बुढ़ानिया को विधानसभा स्पीकर ने पहले अध्यक्ष बनाया था, लेकिन 15 दिन बाद ही उन्हें हटा दिया गया। कांग्रेस ने इस फैसले को लेकर स्पीकर वासुदेव देवनानी पर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दबाव में काम करने का आरोप लगाया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्पीकर की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को किसी पार्टी का नहीं, बल्कि निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए।
क्या होगा बैठक का परिणाम?
आज की बैठक से जयकृष्ण पटेल के मामले में कोई ठोस निर्णय निकलने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि हाल ही में अंता से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी खत्म हुई थी, इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष बीएपी विधायक पर भी निर्णय ले सकते हैं।