यह अध्ययन बताता है कि एक महिला के प्रजनन वर्षों (menarche से menopause तक का समय) का असर उसके बाद के जीवन में दिमागी स्वास्थ्य पर पड़ सकता है और इससे डिमेंशिया (भूलने की बीमारी) का खतरा भी कम हो सकता है।
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि शरीर में एस्ट्राडियोल (एक प्रमुख महिला हार्मोन) की भूमिका डिमेंशिया के विकास में अहम हो सकती है। यह हार्मोन किशोरावस्था में बढ़ता है, प्रजनन काल के दौरान अधिक बना रहता है और मेनोपॉज़ के समय अचानक गिर जाता है। इस गिरावट को दिमागी रोगों से जोड़ा गया है।
अध्ययन की प्रमुख लेखिका और ऑकलैंड विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर एलीन ल्यूडर्स ने कहा, “यह परिणाम दर्शाते हैं कि एस्ट्राडियोल दिमाग को उम्र बढ़ने से होने वाले नुकसान से बचा सकता है।”
यह शोध यह संकेत भी देता है कि मेनोपॉज़ के आस-पास के वर्षों में हार्मोन उपचार (Hormone Therapy) जैसे उपाय, खासकर उन महिलाओं के लिए फायदेमंद हो सकते हैं जिनमें अल्जाइमर का खतरा अधिक हो।
शोधकर्ताओं ने 1,006 रजोनिवृत्त महिलाओं के दिमाग के दो MRI स्कैन (लगभग दो साल के अंतराल पर) का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि जिन महिलाओं को जल्दी माहवारी आई, देर से मेनोपॉज़ हुआ और जिनकी प्रजनन अवधि लंबी रही – उनमें दिमाग की उम्र धीमी गति से बढ़ी।
हालांकि शोध में यह भी कहा गया कि इन प्रभावों की मात्रा कम थी और महिलाओं के एस्ट्राडियोल स्तर सीधे तौर पर मापे नहीं गए। साथ ही, आनुवंशिकी (genetics), जीवनशैली और संपूर्ण स्वास्थ्य जैसे अन्य कारण भी दिमाग की उम्र बढ़ने को प्रभावित करते हैं।
ल्यूडर्स ने उम्मीद जताई कि भविष्य में किए जाने वाले अध्ययन अधिक विविध महिलाओं को शामिल करेंगे और हार्मोन स्तर को सीधे मापेंगे, ताकि यह बेहतर समझा जा सके कि एस्ट्राडियोल और अन्य कारक महिलाओं के दिमागी स्वास्थ्य पर कैसे असर डालते हैं।