गहलोत ने दावा किया कि यदि शेखावत निर्दोष हैं, तो उन्हें पीड़ितों की समस्या सुलझाने के लिए संघर्ष समिति और प्रभावित लोगों के साथ बैठकर समाधान निकालना चाहिए।
अब तक 15 पेशी हो चुकी हैं- गहलोत
अशोक गहलोत ने कहा कि शेखावत दो-तीन बार सांसद रह चुके हैं और अब केंद्रीय मंत्री हैं। उन्हें संजीवनी घोटाले पर बातचीत के लिए तैयार होना चाहिए। अगर वे निर्दोष हैं, तो मुझे खुशी होगी। मेरा उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना है। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री रहते उनके पास आए दस्तावेजों में शेखावत के परिवार के सदस्यों का नाम था, जिसके आधार पर शेखावत ने दिल्ली में मानहानि का केस दायर किया। गहलोत ने बताया कि अब तक 15 पेशी हो चुकी हैं, लेकिन शेखावत को केस वापस लेकर पीड़ितों के लिए काम करना चाहिए। गहलोत ने कहा कि हमारा कोई एम नहीं है किसी को टारगेट बनाने का, हम चाहते हैं उनकी जो समस्या हैं वो कैसे हल हो इसलिए हम चाहेंगे कि गजेंद्र सिंह शेखावत जी खुद बात करें आपस में बात करें और एक कमेटी जो काम कर रही है संघर्ष समिति उसको बुला लें और जो पीड़ित लोग हैं उनमें पांच दस लोगों को बुलाएं बैठ कर बातचीत करें कि भई इनकी समस्या या हैं इनके आरोप ये ये हैं।
क्या है संजीवनी घोटाला मामला?
बताते चलें कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला 950 करोड़ रुपये से अधिक का है, जो राजस्थान और गुजरात सहित कई राज्यों में फैला। 2008 में बाड़मेर से शुरू हुई इस सोसाइटी ने 237 शाखाएं खोलीं और हाई रिटर्न, विदेश यात्रा जैसे प्रलोभनों से करीब डेढ़ लाख लोगों को लुभाया। निवेशकों को एजेंट बनाकर कमीशन दिया गया, जिससे चैन सिस्टम बना और लोग फंसते गए। सोसाइटी ने निवेशकों के पैसे गलत तरीके से लोन पर दिए, जिनमें ज्यादातर बोगस ग्राहक थे। अकाउंट्स बुक में 1100 करोड़ रुपये के ऋण दर्ज हैं। इस घोटाले का मास्टरमाइंड विक्रम सिंह को एसओजी ने गिरफ्तार किया है। शेखावत का नाम भी इस मामले में जोड़ा गया, जिसे उन्होंने खारिज किया।
मानहानि केस पर गहलोत का जवाब
गौरतलब है कि शेखावत ने गहलोत पर उनके और उनकी दिवंगत मां का नाम घोटाले में घसीटने का आरोप लगाते हुए मानहानि का केस दायर किया था। जवाब में गहलोत ने कहा था कि वे इस केस का स्वागत करते हैं, क्योंकि इससे घोटाला चर्चा में आएगा। उन्होंने दावा किया था कि पीड़ितों में 80% राजपूत हैं और उनका दर्द देखकर वे भावुक हैं।