यह है मामला
पिछले वर्ष तत्कालीन प्रधान इंद्रा डूडी को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पंचायती राज विभाग ने निलंबित कर दिया था। इसके बाद सरकार ने पंस सदस्य रोहिताश धांगड़ को कार्यवाहक प्रधान नियुक्त किया। इस पर डूडी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कार्यभार सौंपे जाने की वैधता को चुनौती दी। याचिका में डूडी के वकील ने बताया कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच जिला परिषद स्तर तक ही सीमित रही और उच्च स्तरीय जांच की अनुशंसा के बावजूद उन्हें बिना पूर्ण जांच के ही निलंबित कर दिया गया। साथ ही यह भी तर्क रखा गया कि कार्यभार उसी सदस्य (धांगड़) को सौंपा गया जो स्वयं शिकायतकर्ता था, जो कि न्यायिक प्रक्रिया की भावना के विपरीत है।
यह दिए गए हैं आदेश
हाईकोर्ट के न्यायाधीश अनूप कुमार ढंढ ने पंचायतीराज अधिनियम 1994 की धारा 25 (1)(बी) का हवाला देते हुए प्रधान धांगड़ को हटाते हुए नियमानुसार उप प्रधान को प्रधान पद की जिम्मेदारी सौंपने, उप प्रधान की उपलब्धता नहीं होने की स्थिति में किसी अन्य निर्वाचित सदस्य को प्रधान का कार्यभार देने के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया को सात दिन में पूर्ण करने, तत्कालीन प्रधान डूडी के खिलाफ दर्ज शिकायत की तीन माह में जांच पूर्ण करने के भी आदेश दिए। 2024 में सुर्खियों में रहा प्रधान पद
2024 में प्रधान की कुर्सी खूब सुर्खियों में रही। तत्कालीन प्रधान इंद्रा डूडी को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। जो कि महज एक वोट से खारिज हो गया। बाद में प्रधान डूडी को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते प्रधान के पद से निलंबित कर दिया गया था। सरकार ने पंस सदस्य रोहिताश धांगड़ को प्रधान का चार्ज दिया।